जम्मू-कश्मीर सरकार ने सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण में 15 और जातियों को किया शामिल

Jammu and Kashmir government includes 15 more castes in reservation for socially backward classes
जम्मू-कश्मीर सरकार ने सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण में 15 और जातियों को किया शामिल
जम्मू-कश्मीर जम्मू-कश्मीर सरकार ने सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण में 15 और जातियों को किया शामिल

डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर सरकार ने शनिवार को एक अधिसूचना जारी की, जिसमें 15 और जातियों को शामिल किया गया है। इन्हें अब म पिछड़े वर्गों के लिए नौकरियों आदि में 4 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलेगा। अधिसूचना के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में सामाजिक रूप से पिछड़ी जातियों की सूची में 15 और जातियों को शामिल किया गया है।

अब शामिल सामाजिक जातियां वाघे (चोपन), घिरथ/भाटी/चांग समुदाय, जाट समुदाय, सैनी समुदाय, मरकबन/पोनीवाला, सोची समुदाय, ईसाई बिरादरी (हिंदू वाल्मीकि से परिवर्तित), सुनार/स्वर्णकर तेली (हिंदू तेली, मुस्लिम तेली सहित), पेरना/कौरो (कौरव), बोजरू/डेकाउंट/दुबदाबे ब्राह्मण गोर्कन, गोरखा, पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थी (एससी को छोड़कर) और आचार्य हैं। मौजूदा सामाजिक जातियों के नामों को हटाकर उनमें कुछ संशोधन भी किए गए हैं।

अधिसूचना के अनुसार, कुम्हार, जूता मरम्मत करने वाले, बैंगी खाक्रोब (स्वीपर), नाई, धोबी और डूम्स को क्रमश: कुमाहार, मोची, बंगी खाक्रोब, हज्जाम अतराय, धोबी और डूम्स (एससी को छोड़कर) द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है।

जम्मू-कश्मीर सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिशों पर सामाजिक जाति सूची को फिर से तैयार किया गया है, जिसे 2020 में जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा गठित किया गया था। उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जी.डी शर्मा तीन सदस्यीय पैनल के प्रमुख हैं। जम्मू और कश्मीर आरक्षण नियमों में किया गया दूसरा महत्वपूर्ण परिवर्तन यह है कि पहाड़ी भाषी लोगों (पीएसपी) शब्दों को पहाड़ी जातीय लोगों के साथ समाप्त कर दिया गया है।

 

 (आईएएनएस)

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Created On :   22 Oct 2022 4:30 PM IST

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