कमलनाथ का फार्मूला अपनाते तो भाजपा के 9 नहीं, 14 होते महापौर !
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डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की शिवराज सिंह चौहान सरकार यदि कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ के फार्मूले पर अमल करती तो भाजपा के खाते में 16 में से 9 नहीं 14 होते महापौर। राज्य में नगरीय निकाय के चुनाव दो चरणों में हुए हैं, पहले चरण में 11 नगर निगम में महापौर के चुनाव हुए जिनमें से भाजपा के खाते में सात उम्मीदवार जीते, वहीं दूसरे चरण में मतदान पांच स्थानों पर हुआ और भाजपा दो स्थानों पर जीती। इस तरह भाजपा 16 में से नौ स्थानों पर ही जीत दर्ज कर सकी, जबकि पांच स्थान पर कांग्रेस और एक पर आम आदमी पार्टी के अलावा एक निर्दलीय महापौर निर्वाचित हुआ। बीते चुनाव में सभी 16 महापौर के पद भाजपा के खाते में थे।
राज्य में नगरीय निकाय चुनाव में महापौर और नगर पालिका व नगर परिषद के अध्यक्षों के चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से अर्थात सीधे मतदाता के वोट से कराए जाने को लेकर काफी खींचतान चली। कमलनाथ अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव कराने के पक्ष में थे जिसमें महापौर और अध्यक्ष का चुनाव पार्षद के जरिए होगा, मगर भाजपा ने महापौर का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से और नगर परिषद व नगर पालिका के अध्यक्ष का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से कराने का फैसला लिया।
महापौर के जो नतीजे आए हैं उनमें भाजपा नौ स्थानों पर जीती है कांग्रेस के खाते में पांच है और एक आप तथा एक निर्दलीय चुनाव जीता है। पार्षदों की संख्या पर गौर करें तो एक बात साफ हो जाती है कि भाजपा के पार्षद 16 में से 14 स्थानों पर कांग्रेस के मुकाबले ज्यादा जीते हैं, सिर्फ मुरैना और छिंदवाड़ा ऐसे नगर निगम हैं जहां भाजपा के पार्षद कांग्रेस से कम हैं। मुरैना में तो भाजपा निर्दलीयों के सहयोग से महापौर बना सकती थी, इस तरह 16 में से 15 स्थानों तक पर भाजपा महापौर बनाने की स्थिति में होती, अगर अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव हुए होते तो।
ज्ञात हो कि कमलनाथ सरकार महापौर, नगर पालिका और नगर परिषद के अध्यक्ष के चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराने को लेकर अध्यादेश लाई थी, जिसका बीजेपी ने खूब विरोध किया था मगर बीजेपी के सरकार में आने के बाद कमलनाथ के फैसले को पलट दिया गया था और महापौर के चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से कराए गए।
(आईएएनएस)
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Created On :   21 July 2022 7:01 PM IST