भास्कर एक्सक्लूसिव: कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश में जीत से सीख, हरियाणा और महाराष्ट्र चुनाव से सबक, दिल्ली में क्या होनी चाहिए कांग्रेस की रणनीति!
- अगले साल फरवरी में होंगे दिल्ली चुनाव
- केजरीवाल के खिलाफ कांग्रेस बनानी होगी कड़ी रणनीति
- कांग्रेस को हरियाणा और महाराष्ट्र चुनाव से लेना होगा सबक
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली चुनाव की तैयारी से पहले कांग्रेस को कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश चुनाव से सीख लेनी होगी। इन तीनों राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने विपरीत परिस्थितियों में शानदार तैयारी की थी। जिसके चलते इन राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनी। वहीं, हाल ही में हुए हरियाणा और महाराष्ट्र चुनाव से कांग्रेस सबक भी ले सकती है। जहां कांग्रेस बीजेपी के साथ सामने कुछ खास नहीं कर पाई। ऐसे में समझने की कोशिश करते हैं कि दिल्ली चुनाव में वह कौन सी रणनीति हो सकती है, जिस पर कांग्रेस को काम करना चाहिए।
पिछली बड़ी जीत से सीख
कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश प्रदेश में कांग्रेस ने स्थानीय नेताओं को आगे करके चुनाव लड़ा था। मई 2023 में हुई कर्नाटक विधासनभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने राज्य में स्थानीय नेताओं (डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया) को आगे प्रोजेक्ट करके चुनाव लड़ा था। वहीं, कर्नाटक के स्थानीय नेता के तौर पर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने चुनाव में सक्रिय भूमिका निभाई। वहीं, तेलंगाना में पार्टी ने रेवंत रेड्डी के अलावा अन्य स्थानीय नेताओं को आगे करके चुनाव लड़ा था। इसके अलावा हिमाचल में भी कांग्रेस ने स्थानीय नेता सुखविंदर सिंह सुक्खू और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह के नेतृत्व में चुनाव लड़ा था। जिसका फायदा भी कांग्रेस को मिला।
बता दें कि, दिल्ली में कांग्रेस में कई दिग्गज नेता हैं। जिसके नेतृत्व में कांग्रेस आगामी दिल्ली चुनाव लड़ सकती है। इसमें महिला वोटर्स को लुभाने के लिए भी कांग्रेस के कई नेता मौजूद हैं। अभी बीजेपी ने सीएम आतिशी को घेरने के लिए बांसुरी स्वराज को आगे किया है। ठीक उसी तरह से कांग्रेस को दिल्ली महिला कांग्रेस अध्यक्ष पुष्पा सिंह और अलका लांबा जैसे अन्य नेताओं को आगे करना चाहिए।
AAP की रणनीति पर भी करना होगा काम
दिल्ली में पिछले दो विधानसभा चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी (आप) ने स्थानीय मुद्दों को हवा दी। जिससे भांपने में बीजेपी असफल रही। स्थानीय लोगों के लिए मोहल्ला क्लीनिक, महिलाओं के लिए फ्री बस सेवा दी। साथ ही, दिल्ली की जनता के बीच AAP ने बिजली, पानी और शिक्षा के मुद्दा को भी बनाए रखा। ऐसे में कांग्रेस को यहां स्थानीय मुद्दों को टारगेट करके चुनाव लड़ना चाहिए। घोषणा पत्र भी पार्टी को स्थानीय मुद्दों को लाना चाहिए। जिससे पार्टी का पुराना वोट बैंक वापस आ सकता है। पार्टी के ऐसे ही फैसलें से कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल में वापसी हुई थी।
महाराष्ट्र और हरियाणा में कांग्रेस उतना स्थानीय रणनीति पर काम करने में सफल नहीं हो सकी। जिसका फायदा बीजेपी को सीधे तौर पर मिला। महाराष्ट्र में भी बीजेपी के सामने सीधी फाइट में कांग्रेस फेल हो गई। अब इन दोनों जगहों के चुनाव से भी कांग्रेस को सीख लेकर दिल्ली में चुनावी रणनीति तैयार करनी होगी।
Created On :   20 Dec 2024 6:04 PM IST