सबरीमाला मंदिर मामला: केरल हाईकोर्ट ने गोवा के राज्यपाल पीएस श्रीधरण पिल्लई के खिलाफ दर्ज एफआईआर को खारिज करने का दिया आदेश
- आईपीसी की धारा के तहत नहीं बनता है अपराध
- राज्यपाल के कार्यकाल के दौरान नहीं शुरू होगी आपराधिक कार्यवाही
- सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर दिया था बयान
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केरल हाईकोर्ट ने गोवा के राज्यपाल पीएस श्रीधरण पिल्लई के खिलाफ दर्ज एफआईआर को खारिज करने का आदेश दिया। संविधान के अनुच्छेद 361(2) के अनुसार राष्ट्रपति या किसी राज्य के राज्यपाल के खिलाफ उनके कार्यकाल के दौरान किसी भी कोर्ट में कोई भी आपराधिक मामला नहीं हो सकता।
जस्टिस पीवी कुन्हीकृष्णन ने केस की सुनवाई करते हुए कहा कि आईपीसी की धारा 505(1)(बी) के तहत अपराध नहीं है क्योंकि पिल्लई ने युवा मोर्चा की राज्य समिति की मीटिंग में भाषण दिया था, न कि किसी पब्लिक मीटिंग में।
आपको बता दें सबरीमाला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पीएस श्रीधरन पिल्लई ने सर्वोच्च अदालत की आलोचना की। इसको लेकर हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी सार्वजनिक फैसले की आलोचना ना अवमानना है ना अपराध। क्योंकि वह एक सार्वजनिक दस्तावेज है। इसे लेकर ही एक पत्रकार की शिकायत पर बीजेपी के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष पिल्लई के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी।
अभियोजन पक्ष ने कोर्ट से कहा पिल्लई के बयान जनता के लिए खतरनाक और अशांति फैलाने वाले बताए। उनके भाषण अपराध को प्रेरित कर सकते थे। न्यायालय ने अभियोजन पक्ष के तर्कों से असहमत होते हुए कहा कि पिल्लई की ओर से एक होटल में दिया गया भाषण है। मीडिया को खबरें प्रकाशित करने का अधिकार है और इसलिए उन्हें भी दोषी नहीं ठहराया जा सकता। याचिकाकर्ता को धारा 505 (1) (बी) आईपीसी के तहत दंडनीय अपराधों के लिए उत्तरदायी भी नहीं ठहराया जा सकता है।
आपको बता दें राज्यपाल पिल्लई के खिलाफ ये मामला 2018 में सबरीमाला में भगवान अयप्पा मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ की गई टिप्पणियों को लेकर दर्ज किया गया था। पिल्लई मौजूदा दौर में गोवा के राज्यपाल हैं। आपोक बता दें 4 नवंबर, 2018 को अपने भाषण में पीएस श्रीधरन पिल्लई ने युवती,किशोरावस्था की महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगाने और गेट बंद करने की बात कही थी।
Created On :   21 Nov 2024 7:34 PM IST