संसदीय समितियों का गठन: नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को बनाया डिफेंस कमेटी का सदस्य, अखिलेश यादव और दिग्विजय सिंह समेत विपक्ष के इन सांसदों के नाम हैं शामिल
- मोदी सरकार ने किया संसदीय समितियों का गठन
- राहुल को बने रक्षा समिति के सदस्य
- दिग्विजय को बनाया शिक्षा समिति का प्रमुख
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने 24 समदीय समितियों का गठन कर दिया है। कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को रक्षा समिति का सदस्य बनाया है। वहीं अध्यक्ष बीजेपी के राधा मोहन सिंह बने हैं। एआईएमआईएम के चीफ असदुद्दीन ओवैसी को विदेश मंत्रालय की संसदीय समिति का सदस्य बनाया गया है। ऐसे ही अखिलेश यादव को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन समिति के सदस्य और कांग्रेस सांसद शशि थरूर को विदेश मंत्रालय की संसदीय समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। इन समितियों का गठन विभिन्न विभागों में कार्यों की निगरानी और विकास के अहम साबित होगा।
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे को संचार और आईटी संसदीय समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। जबकि अनिल बलूनी को समिति का सदस्य बनाया गया है। कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह को शिक्षा मंत्रालय का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। वहीं पंजाब के पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी को कृषि मंत्रालय से जुड़ी स्थाई समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी को किसी समिति में शामिल नहीं किया गया है।
क्या होती है इनकी आवश्यकता?
संसद द्वारा गठित होने वाली इन समितियों का आवश्यकता इसलिए होती है क्योंकि संसद अकेले ही अपने पास मौजूद काम को निपटा नहीं पाती है। ऐसे में कोई मामला या जरुरी काम जब संसद के पास जाता है तो वह उस पर गहराई से विचार विमर्श नहीं कर पाती है। ऐसी स्थिति में ये समितियां उन कामों को निपटाती हैं।
ये समितियां अध्यक्ष के निर्देश पर काम करती हैं और अपनी रिपोर्ट संसद को ही सौंपती हैं। ये समितियां दो तरह की होती हैं एक स्थाई समिति और दूसरी तदर्थ समिति। इनमें स्थायी समिति का कार्यकाल एक साल का होता है। वहीं तदर्थ समितियों का गठन कुछ खास मामलों के लिए होता है जिनके निपटने के साथ ही इनका कार्यकाल भी खत्म हो जाता है।
Created On :   27 Sept 2024 12:46 AM IST