संवैधानिक पद: विपक्ष का नेता बनते ही कई संवैधानिक पदों की नियुक्तियों में प्रधानमंत्री के साथ राहुल गांधी की रहेगी अहम भूमिका
- राहुल गांधी पांचवीं बार सांसद चुने गए
- केरल के वायनाड और उत्तर प्रदेश के रायबरेली से जीत हासिल की
- वायनाड सीट से दिया इस्तीफा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कांग्रेस ने यूपी की रायबरेली सीट से 54 वर्षीय सांसद राहुल गांधी को लोकसभा में नेता विपक्ष बनाए जाने का ऐलान किया है। मंगलवार रात की बैठक में इसका फैसला हुआ। उसके बाद कांग्रेस संसदीय बोर्ड की चेयरमैन सोनिया गांधी ने मंगलवार को प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब को पत्र लिखकर इसकी जानकारी दी। अगले दिन बुधवार को राहुल गांधी ने सदन में विपक्ष के नेता की जिम्मेदारी भी संभाल ली है। यह पहला संवैधानिक पद है, जो राहुल गांधी ने अपने ढाई दशक से ज्यादा लंबे राजनीतिक करियर में संभाला है।
लोकसभा में विपक्ष के नेता का कार्य सदन के नेता के विपरीत होता है। विपक्ष लोकतांत्रिक सरकार का एक अनिवार्य हिस्सा है। विपक्ष से प्रभावी आलोचना की अपेक्षा होती है। सत्ता पक्ष सरकार चलाता है और विपक्ष आलोचना करता है। आपको बता दें राहुल गांधी गांधी के तीसरे ऐसे सदस्य होंगे विपक्ष के नेता के तौर पर सदन में भूमिका निभाएंगे। राहुल से पहले सोनिया गांधी और राजीव गांधी भी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। सोनिया गांधी ने 13 अक्टूबर 1999 से 06 फरवरी 2004 तक नेता प्रतिपक्ष को जिम्मेदारी संभाली है। इसके अलावा राजीव गांधी भी 18 दिसंबर 1989 से 24 दिसंबर 1990 तक नेता विपक्ष रहे।
आपको बता दें विपक्ष का नेता बनते ही राहुल गांधी को कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिल गया है। इससे प्रोटोकॉल सूची में उनका स्थान भी बढ़ जाएगा। राहुल पांचवीं बार के सांसद हैं। राहुल गांधी ने 2004 में राजनीति में प्रवेश किया और पहली बार उत्तर प्रदेश के अमेठी संसदीय सीट से जीत हासिल की थी। वे तीन बार अमेठी से चुनाव जीते। 2019 में उन्होंने वायनाड से जीत हासिल की थी। मंगलवार को उन्होंने संविधान की प्रति हाथ में लेकर सांसद पद की शपथ ली। इस बार आम चुनाव में राहुल ने केरल के वायनाड और उत्तर प्रदेश के रायबरेली से जीत हासिल की है, लेकिन उन्होंने वायनाड सीट से इस्तीफा दे दिया है।
इन नियुक्ति में होगा दखल
लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेताओं को वर्ष 1977 में वैधानिक मान्यता दी गई थी। ऐसे में राहुल गांधी की संवैधानिक पदों की नियुक्ति में भी भूमिका रहेगी। नेता प्रतिपक्ष के रूप में राहुल गांधी लोकपाल, सीबीआई डायरेक्टर, मुख्य चुनाव आयुक्त, चुनाव आयुक्त, केंद्रीय सतर्कता आयुक्त, केंद्रीय सूचना आयुक्त, एनएचआरसी प्रमुख के चयन से संबंधित कमेटियों के सदस्य होंगे और इनकी नियुक्ति में नेता विपक्ष का रोल रहेगा. वे इन पैनल के बतौर सदस्य शामिल होंगे।
पीएम के साथ बैठक में शामिल होंगे राहुल
उक्त सभी नियुक्तियों में राहुल नेता प्रतिपक्ष के तौर पर पीएम के साथ शामिल होंगे। इन नियुक्तियों से जुड़े फैसलों में प्रधानमंत्री को नेता प्रतिपक्ष से सहमति लेनी होगी।
सरकार की कमेटियों के भी हिस्सा होंगे राहुल
राहुल सरकार के आर्थिक फैसलों की लगातार समीक्षा कर पाएंगे और सरकार के फैसलों पर टिप्पणी भी कर सकेंगे। वे 'लोक लेखा' कमेटी के भी प्रमुख बन जाएंगे, जो सरकार के सारे खर्चों की जांच करती है और उनकी समीक्षा करने के बाद टिप्पणी भी करती है। राहुल गांधी संसद की मुख्य कमेटियों में भी बतौर नेता प्रतिपक्ष के रूप में शामिल हो सकेंगे और उनके पास ये अधिकार होगा कि वो सरकार के कामकाज की लगातार समीक्षा करते रहेंगे।
ये शक्तियां और अधिकार मिलेंगे
-कैबिनेट मंत्री का दर्जा
- सरकारी बंगला
- सचिवालय में दफ्तर
- उच्च स्तरीय सुरक्षा
- मुफ्त हवाई यात्रा
- मुफ्त रेल यात्रा
- सरकारी गाड़ी या वाहन भत्ता
- 3.30 लाख रुपए मासिक वेतन-भत्ते
- प्रति माह सत्कार भत्ता
- देश के भीतर प्रत्येक वर्ष के दौरान 48 से ज्यादा यात्रा का भत्ता
- टेलीफोन, सचिवीय सहायता और चिकित्सा सुविधाएं
Created On :   26 Jun 2024 8:52 AM GMT