अंतरराष्ट्रीय: बांग्लादेश में 'राजनीतिक भ्रम' की स्थिति, क्या होने वाली है शेख हसीना की वापसी?

नई दिल्ली, 27 मार्च, (आईएएनएस) । बांग्लादेश में राजनीतिक हालात बेहद पेचीदा होते जा रहे हैं। सैन्य शासन और आपातकाल घोषित होने की अटकलों ने भ्रम को ओर बढ़ा दिया है। हालांकि सैन्य प्रमुख ने सामने आकर सैन्य तख्तापलट की खबरों का खंडन किया है। इन सब के बीच देश में पूर्व पीएम शेख हसीना की वापसी की अफवाहों को बल मिला है।
पिछले साल अगस्त में सत्ता और देश छोड़ने को मजबूर हुईं शेख हसीना खुलकर बांग्लादेश के हालात पर बोल रही हैं। उनकी पार्टी आवामी लीग भी जमीन पर सक्रिय होती दिख रही हैं।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेश में चुनावों की सुगबुगाहट के बीच हसीना ने अवामी लीग के समर्थकों से एकजुट होने की अपील की है।
कुछ नेताओं ने दावा किया है कि कुछ महीनों के भीतर पार्टी धमाकेदार वापसी कर सकती है।
इस बीच, शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद जॉय, यूएसए अवामी लीग के उपाध्यक्ष रब्बी आलम और पार्टी के संयुक्त महासचिव एएफएम बहाउद्दीन नसीम सहित अवामी लीग के कई पदाधिकारियों ने उम्मीद जताई है कि हसीना की बांग्लादेश में वापसी हो सकती है।
हालांकि, आवामी लीग की वापसी इतनी आसानी से नहीं होने वाली है। उसकी रास्ते में आने वाली बाधाओं की लिस्ट लंबी है।
हाली ही बीएनपी और जमात सहित प्रतिद्वंद्वी समूहों के साथ हिंसक झड़पों ने ढाका में अवामी लीग की रैली को विफल कर दिया।
शेख हसीना की संभावित वापसी उनके विरोधियों को फिर एकजुट कर सकती है जो फिलहाल एक दूसरे से दूर जाते दिख रहे हैं। दरअसल अगस्त 2024 में लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार को हटाने के दौरान बांग्लादेश में विभिन्न राजनीतिक संगठनों में अभूतपूर्व एकता दिखी थी लेकिन अब इसमें दरार नजर आने लगी है।
लेकिन सबसे अहम सेना की भूमिका होगी। उसका झुकाव देश का आने वाला भविष्य तय करेगा। सुरक्षा बलों ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को हटाने और यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। बता दें सेना छह महीने से अधिक समय से मजिस्ट्रेसी शक्तियों का इस्तेमाल कर रही है और नागरिक प्रशासन की मदद कर रही हैं।
हालांकि ऐसा लगता है कि सेना, राजनीतिक दलों और शेख हसीना के खिलाफ आंदोलन शुरू करने वाले छात्र संगठनों के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।
एक प्रमुख छात्र कार्यकर्ता और नई नेशनल सिटीजन पार्टी (एनसीपी), के नेता हसनत अब्दुल्ला ने हाल ही में सेना प्रमुख के बारे में एक बड़ा दावा किया है। न्होंने कहा कि सेना प्रमुख जनरल वकार उज-जमान नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को मुख्य सलाहकार नियुक्त करने के इच्छुक नहीं थे।
अस्वीकरण: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में BhaskarHindi.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर BhaskarHindi.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है|
Created On :   27 March 2025 1:56 PM IST