व्यापार: सस्टेनेबल खनन के लिए एसईसीएल ने टीएमसी मिनरल के साथ साइन किया 7,040 करोड़ रुपये का एग्रीमेंट

सस्टेनेबल खनन के लिए एसईसीएल ने टीएमसी मिनरल के साथ साइन किया 7,040 करोड़ रुपये का एग्रीमेंट
देश में टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल खनन प्रैक्टिस को बढ़ावा देने के लिए साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) ने शुक्रवार को टीएमसी मिनरल रिसोर्सेज प्राइवेट लिमिटेड के साथ 7,040 करोड़ रुपये का एग्रीमेंट साइन किया है।

नई दिल्ली, 18 अप्रैल (आईएएनएस)। देश में टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल खनन प्रैक्टिस को बढ़ावा देने के लिए साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) ने शुक्रवार को टीएमसी मिनरल रिसोर्सेज प्राइवेट लिमिटेड के साथ 7,040 करोड़ रुपये का एग्रीमेंट साइन किया है।

यह एग्रीमेंट कोयला खनन में पेस्ट फिल टेक्नोलॉजी को लागू करने के लिए किया गया है।

एसईसीएल, टीएमसी मिनरल रिसोर्सेज प्राइवेट लिमिटेड के साथ एग्रीमेंट करने वाली पहली सरकारी कंपनी है।

कोयला मंत्रालय के मुताबिक, यह देश में टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल खनन प्रैक्टिस की दिशा में एक बड़ा कदम है।

इस एग्रीमेंट के तहत, एसईसीएल के कोरबा क्षेत्र में स्थित सिंघाली भूमिगत कोयला खदान में पेस्ट फिल तकनीक का उपयोग करके बड़े पैमाने पर कोयला उत्पादन किया जाएगा। 25 वर्षों की अवधि में, इस प्रोजेक्ट से लगभग 8.4 मिलियन टन (84.5 लाख टन) कोयले का उत्पादन होने की उम्मीद है।

पेस्ट फिलिंग एक आधुनिक भूमिगत खनन टेक्नोलॉजी है जिसमें सतही भूमि अधिग्रहण की आवश्यकता नहीं होती है। कोयला निकालने के बाद, खनन के कारण बने खाली स्थान को फ्लाई ऐश, ओपनकास्ट खदानों से क्रश किए गए ओवरबर्डन, सीमेंट, पानी और केमिकल्स से बने विशेष रूप से तैयार पेस्ट से भर दिया जाता है। यह प्रक्रिया भूमि के धंसने को रोकती है और खदान की संरचनात्मक स्थिरता सुनिश्चित करती है।

यह पेस्ट इंडस्ट्रियल वेस्ट का उपयोग करती है, जिससे यह प्रक्रिया पर्यावरण अनुकूल मानी जाती है और वेस्ट रिसाइकलिंग को बढ़ावा मिलता है।

सिंघाली भूमिगत खदान को 1989 में 0.24 मिलियन टन प्रति वर्ष उत्पादन क्षमता के लिए मंजूरी दी गई थी और 1993 में इसका संचालन शुरू हुआ था। वर्तमान में, खदान में जी-7 ग्रेड नॉन-कोकिंग कोयले के 8.45 मिलियन टन निकालने योग्य भंडार हैं। इसे बोर्ड और पिलर पद्धति का उपयोग करके विकसित किया गया था, जिसमें भूमिगत संचालन के लिए लोड हॉल डंपर्स (एलएचडी) और यूनिवर्सल ड्रिलिंग मशीन (यूडीएम) का उपयोग किया गया था।

हालांकि, खदान के ऊपर का सतही क्षेत्र घनी आबादी वाला है, जिसमें गांव, हाईटेंशन बिजली की लाइनें और सड़क हैं, जिसके कारण सुरक्षा और पर्यावरण संबंधी चिंताओं के चलते पारंपरिक गुफा निर्माण टेक्नोलॉजी अव्यवहारिक हो जाती हैं।

पेस्ट फिल तकनीक से इस क्षेत्र में खनन गतिविधियां अब सतही इन्फ्रास्ट्रक्चर को प्रभावित किए बिना आगे बढ़ सकती हैं।

सिंघाली में इस तकनीक के सफल कार्यान्वयन से अन्य भूमिगत खदानों में परिचालन फिर से शुरू करने का मार्ग प्रशस्त होने की उम्मीद है, जहां इसी तरह की भूमि संबंधी बाधाएं मौजूद हैं।

अस्वीकरण: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में BhaskarHindi.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर BhaskarHindi.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है|

Created On :   18 April 2025 4:34 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story