राष्ट्रीय: एसजीपीसी प्रमुख, अकाली दल के नेता महाराष्ट्र के नांदेड़ में विरोध प्रदर्शन में शामिल होंगे
चंडीगढ़, 9 फरवरी (आईएएनएस)। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार को महाराष्ट्र सरकार द्वारा नांदेड़ सिख गुरुद्वारा सचखंड श्री हजूर अबचलनगर साहिब अधिनियम, 1956 में प्रस्तावित संशोधनों के विरोध में शामिल होने के लिए नांदेड़ पहुंचा।
प्रतिनिधिमंडल के अन्य सदस्यों में शिरोमणि अकाली दल (शिअद) नेता दलजीत सिंह चीमा और एसजीपीसी महासचिव राजिंदर सिंह मेहता शामिल थे।
प्रतिनिधिमंडल महाराष्ट्र मंत्रिमंडल द्वारा पारित संशोधन के खिलाफ हजूर साहिब 'संगत' द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन में शामिल होगा।
महाराष्ट्र के नांदेड़ में तख्त हजूर साहिब सिखों के पांच तख्तों में से एक है और इसका ऐतिहासिक महत्व है क्योंकि सिखों के 10वें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह का निधन यहीं हुआ था।
अधिनियम में संशोधन करने के फैसले से धार्मिक निकाय के बोर्ड में सरकार के नामांकित व्यक्तियों की संख्या में वृद्धि होगी, जिसकी एसजीपीसी अध्यक्ष धामी ने आलोचना की है, जिन्होंने कहा कि यह सिख मामलों में दुखद, निंदनीय और सीधा हस्तक्षेप है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।
अब उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को पत्र लिखकर इस मुद्दे पर चर्चा के लिए समय मांगा है। अकाली दल नेता चीमा ने कहा कि राज्य सरकार ने बोर्ड के कुल 17 सदस्यों में से 12 को सीधे मनोनीत करने का रास्ता खोल दिया है।
उन्होंने अपने एक्स अकाउंट पर पोस्ट किया, ''एसजीपीसी द्वारा भेजे गए सदस्यों की संख्या चार से घटाकर दो कर दी गई है। हजूरी सचखंड दीवान के मुख्य खालसा दीवान का नामांकन समाप्त कर दिया गया है। इसी तरह दो सिख सांसद जो बोर्ड के सदस्य हुआ करते थे, उन्हें भी नये संशोधन में इस अधिकार से वंचित कर दिया गया है।"
उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि राज्य सरकार गुरुद्वारा बोर्ड का पूर्ण नियंत्रण अपने हाथ में लेने जा रही है, जिसे सिख समुदाय बर्दाश्त नहीं कर सकता। शिअद ने महाराष्ट्र सरकार से संशोधन को तुरंत वापस लेने का आग्रह किया है।
राष्ट्रीय स्तर के सिख संगठनों के परिसंघ ग्लोबल सिख काउंसिल (जीएससी) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप करने का आह्वान किया है। इसने चेतावनी दी कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार के ऐसे एकतरफा फैसले सिख गुरुद्वारा मामलों का घोर उल्लंघन हैं और इसे सिखों द्वारा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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Created On :   9 Feb 2024 4:54 PM IST