राजनीति: दिल्ली में बाबा साहेब अंबेडकर की जयंती पर कार्यक्रम, मेयर ने दी श्रद्धांजलि

दिल्ली में बाबा साहेब अंबेडकर की जयंती पर कार्यक्रम, मेयर ने दी श्रद्धांजलि
बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की जयंती के अवसर पर सोमवार को दिल्ली नगर निगम के सिविक सेंटर कार्यालय में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में दिल्ली के मेयर महेश कुमार खींची, नगर निगम आयुक्त सहित कई वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया।

नई दिल्ली, 14 अप्रैल (आईएएनएस)। बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की जयंती के अवसर पर सोमवार को दिल्ली नगर निगम के सिविक सेंटर कार्यालय में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में दिल्ली के मेयर महेश कुमार खींची, नगर निगम आयुक्त सहित कई वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया।

कार्यक्रम का उद्देश्य बाबा साहेब अंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित करना और उनके विचारों को याद करना था। इस अवसर पर दिल्ली नगर निगम के सफाई कर्मचारियों को भी सम्मानित किया गया।

दिल्ली के मेयर महेश कुमार खींची ने कहा, "बाबा साहेब अंबेडकर का जीवन सबसे बड़ा प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने शिक्षा और समानता पर विशेष जोर दिया। अगर वह नहीं होते, तो आज भी समाज में असमानता व्याप्त होती।"

इस कार्यक्रम से हटकर दिल्ली के मंत्री रविंद्र इंद्राज सिंह ने झारखंड के मंत्री हफीजुल हसन अंसारी के बयान पर पलटवार किया। मंत्री ने कहा कि उनका बयान बाबा साहेब अंबेडकर और देश के संविधान का अपमान है।

रविंद्र इंद्राज सिंह ने कहा, "आज बाबा साहेब की जयंती है और इस दिन इस प्रकार का बयान न केवल संविधान, बल्कि देश की 140 करोड़ जनता का भी अपमान है। हफीजुल हसन को समझना चाहिए कि संविधान हर हिंदुस्तानी की आत्मा में बसता है। उनकी कथनी और करनी सबको मालूम है और उनकी देशभक्ति पर भी सवाल उठते हैं।"

दरअसल, झारखंड के मंत्री हफीजुल हसन ने कहा था कि "मेरे लिए शरीयत पहले" है, जिस पर प्रत‍िक्रिया सामने आ रही है।

अंसारी ने कहा, "शरीयत मेरे लिए बड़ा है। हम कुरान सीने में रखते हैं और संविधान हाथ में रखते हैं। मुसलमान कुरान सीने में और संविधान हाथ में लेकर चलता है। तो, हम पहले शरीयत को पकड़ेंगे, उसके बाद संविधान को... मेरा इस्लाम यही कहता है।"

इसके साथ ही झारखंड प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने अंसारी के इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा, "मंत्री हफीजुल हसन के लिए संविधान नहीं, शरीयत मायने रखता है, क्योंकि ये अपने 'लक्ष्य' के प्रति स्पष्ट हैं और सिर्फ अपने कौम के प्रति वफादार। चुनाव के समय इन्होंने गरीब, दलित, आदिवासियों के सामने हाथ जोड़कर वोट मांगा और अब अपना इस्लामिक एजेंडा चलाने की कोशिश कर रहे हैं।"

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Created On :   14 April 2025 10:16 PM IST

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