राजनीति: तहव्वुर राणा का भारत प्रत्यर्पण पीएम मोदी के आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति का नतीजा सुनील शर्मा

जम्मू, 10 अप्रैल (आईएएनएस)। मुंबई में 26/11 के आतंकी हमले के साजिशकर्ताओं में से एक तहव्वुर राणा को गुरुवार को भारत लाया जा रहा है। जम्मू-कश्मीर विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष एवं भाजपा के दिग्गज नेता सुनील शर्मा ने तहव्वुर का भारत प्रत्यर्पण पीएम मोदी की जीरो टॉलरेंस नीति का नतीजा बताया।
भाजपा नेता सुनील शर्मा ने आतंकी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण पर समाचार एजेंसी आईएएनएस से कहा, मुझे लगता है कि यह भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बहुत बड़ी जीत हुई है। सरकार ने आतंकवाद के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है। तहव्वुर राणा 26/11 आतंकी हमले का मास्टरमाइंड था, इस हमले ने हमारे देश को बहुत बड़ा आघात पहुंचाया। हमारे कई नागरिकों की हत्या और पुलिसकर्मियों को शहीद किया।"
उन्होंने आगे कहा, "यह बात देश के हर नागरिक के दिल में खटक रही थी। पीएम मोदी को अहसास था कि जब तक आतंकी हमले के मुख्य साजिशकर्ता को भारत लाकर पूरी कानूनी कार्रवाई के साथ सख्ती से नहीं निपटा जाए, तब तक कोई भारतीय चैन से नहीं बैठेगा। इस प्रतिबद्धता को पीएम मोदी ने दोहराया और दुनिया के जिस भी बिल में वो बैठा था, उसे वहां से भारत लाया जा रहा है। इसमें मैं आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई की बहुत बड़ी जीत मानता हूं।"
सुनील शर्मा ने कहा, "भारत से भागकर विदेशों में बैठे लोगों के साथ निपटा जा रहा है। पिछले दो-तीन सालों से भारत सरकार ने जरूरी कार्रवाई की है। कुछ बचे हैं। इनमें समय लगता है, रातभर में यह चीजें नहीं होती हैं। भारतीय एजेंसी को दिशा मिल चुकी है और देश की इच्छाशक्ति भी स्पष्ट हो चुकी है कि भारत की संप्रभुता के विरुद्ध जिसने भी आवाज उठाई है, उसे बख्शा नहीं जाएगा।"
बता दें कि पाकिस्तान में जन्मे कनाडाई नागरिक तहव्वुर राणा 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक अमेरिकी नागरिक डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाऊद गिलानी का करीबी सहयोगी है।
लंबी कानूनी और कूटनीतिक कोशिशों के बाद राणा को भारत लाया जा रहा है। अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने भारत में प्रत्यर्पण पर रोक लगाने के उसके आवेदन को खारिज कर दिया था, जिसके बाद उसे लाने का रास्ता साफ हो गया।
26 नवंबर 2008 की रात को 10 आतंकवादियों ने मुंबई में कई स्थानों पर एक साथ हमला किया था। 26/11 हमले में 164 लोग मारे गए और 300 से ज्यादा घायल हुए थे। आतंकवादियों ने भारतीयों और अन्य देशों के नागरिकों की हत्या की थी। मृतकों में इजरायल के चार नागरिक भी शामिल थे।
नौ आतंकवादियों को सुरक्षाबलों ने मार गिराया था, जबकि एक अजमल कसाब जिंदा पकड़ा गया था, जिसे बाद में फांसी की सजा हुई।
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Created On :   10 April 2025 6:29 PM IST