कूटनीति: भारत ने ओआईसी में पाकिस्तान की हरकतों पर साधा निशाना, कही यह बड़ी बात

नई दिल्ली, 19 अप्रैल (आईएएनएस)। भारत ने शनिवार को एक बार फिर इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) की बैठकों में भारत के आंतरिक मामलों को उठाने पाकिस्तान के बार-बार के प्रयासों की आलोचना की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी सऊदी अरब की दो दिवसीय यात्रा से पहले आयोजित एक मीडिया ब्रीफिंग में विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने पाकिस्तान के झूठे दावों और ओआईसी का गलत इस्तेमाल करने के प्रयासों को खारिज कर दिया।
मिसरी ने नई दिल्ली में कहा, "यह लंबे समय से चली आ रही आदत है, जिसके खिलाफ हम नियमित रूप से बोलते रहे हैं और ओआईसी में अपने मित्रों और साझेदारों के समक्ष भी इस मुद्दे को उठाते रहे हैं।"
विदेश सचिव ने कहा, "ओआईसी के सदस्यों में पाकिस्तान की इन हरकतों के बारे में एक निश्चित दृष्टिकोण है, लेकिन हम अपने विचार साझा करना जारी रखेंगे और उनके ध्यान में लाएंगे कि पाकिस्तान की ओर से आदतन किए जाने वाले इन प्रयासों के बारे में हम वास्तव में क्या सोचते हैं।"
पिछले कई वर्षों में भारत का कहना है कि मंच का इन निहित स्वार्थी तत्वों की ओर से भारत विरोधी प्रचार के लिए गलत इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। नई दिल्ली ने यह भी कहा कि ओआईसी को भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप का कोई अधिकार नहीं है।
विदेश मंत्रालय (एमईए) ने पहले भी कह चुका है कि "यह खेदजनक है कि ओआईसी खुद को एक ऐसे देश द्वारा इस्तेमाल करने की अनुमति दे रहा है, जिसका धार्मिक सहिष्णुता, कट्टरपंथ और अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न का घृणित रिकॉर्ड है, जो भारत विरोधी प्रचार में शामिल है। हम ओआईसी को दृढ़तापूर्वक सलाह देते हैं कि वह भविष्य में ऐसे संदर्भ देने से बचें।"
भारत के इस्लामी दुनिया के साथ गहरे ऐतिहासिक, आर्थिक और रणनीतिक संबंध रहे हैं, जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले एक दशक में और बढ़ावा मिला है।
कई विश्लेषकों का मानना है कि पीएम मोदी ने भारत की सुरक्षा और अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए दक्षिण एशिया, मध्य एशिया और मध्य पूर्व में मुस्लिम बहुल देशों के साथ भारत के संबंधों को बढ़ाया है।
खाड़ी क्षेत्र भारत को 60 प्रतिशत से अधिक कच्चे तेल की आपूर्ति करता है और और ओआईसी देशों का भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार 200 अरब डॉलर से अधिक है।
इस्लामिक सहयोग संगठन जिसे पहले इस्लामिक सम्मेलन संगठन कहा जाता था, की स्थापना 1969 में हुई थी। इसमें 57 सदस्य देश शामिल हैं, जिनमें से 48 मुस्लिम बहुल हैं। संगठन 'मुस्लिम दुनिया की सामूहिक आवाज' होने का दावा करता है और 'अंतरराष्ट्रीय शांति और सद्भाव को बढ़ावा देने की भावना के साथ मुस्लिम दुनिया के हितों की 'रक्षा और सुरक्षा' के लिए काम करता है।
बता दें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22-23 अप्रैल को सऊदी अरब के दौरे पर रहेंगे। उन्हें इस यात्रा का निमंत्रण क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन सलमान ने दिया है।
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Created On :   19 April 2025 7:12 PM IST