इंदिरा एकादशी : जानें इस व्रत का महत्व और पूजा विधि

Indira Ekadashi: Pitra Dosh will be overcome by observing this fast
इंदिरा एकादशी : जानें इस व्रत का महत्व और पूजा विधि
इंदिरा एकादशी : जानें इस व्रत का महत्व और पूजा विधि

डिजिटल डेस्क। हिन्‍दू पंचांग के अनुसार अश्विन मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को इंदिरा एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह एकादशी पितृ पक्ष में पड़ती है इसलिए इसका महत्‍व भी बढ़ जाता है। इस वर्ष यह एकादशी 25 सितंबर बुधवार को है। आइए जानते हैं इस एकादशी का महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त...

मान्‍यता है कि यदि जाने अनजाने पितरों से कोई पाप हुआ हो, जिस कारण उन्हें पितृ लोक में दण्ड मिल रहा हो, तो इंदिरा एकादशी व्रत से उनके पाप नष्ट हो जाते हैं। अगर सच्‍चे मन और श्रद्धा भाव से इस एकादशी का व्रत किया जाए तो पितृ का उद्धार होता है और पितरों को मोक्ष मिल जाता है। 

महत्व
पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार इंदिरा एकादशी का व्रत करने से एक करोड़ पितरों का उद्धार होता है और स्‍वयं के लिए स्‍वर्ग लोक का मार्ग प्रशस्‍त होता है। इस दिन प्रातः स्नानादि कर भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए हाथ में जल, पुष्प व दक्षिणा लेकर व्रत का संकल्प करें। दिन के समय में पितृ प्रसन्नता के लिए श्राद्ध करें। एकादशी के दिन विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। 

शुभ मुहूर्त 
तिथि आरंभ: 24 सितंबर शाम 04 बजकर 52 मिनट से
तिथि समाप्‍त: 25 सितंबर 2019 दोपहर 02 बजकर 09 मिनट तक
द्वादशी को पारण का समय: 26 सितंबर सुबह 06 बजकर 15 मिनट से सुबह 08 बजकर 38 मिनट तक

व्रत विधि
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इस व्रत में एक रात पहले से भोजन नहीं किया जाता और पूरे दिन अन्न ग्रहण नहीं किया जाता। इस दिन फलाहार लेकर व्रत रख सकते हैं। 
. इंदिरा एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर सूर्यदेव को अर्घ्य दें। उसके बाद भगवान विष्णु के लिए शुद्ध घी का दीप प्रज्जवलित करें। 
. इसके बाद अपने पितृ का श्राद्ध करें और ब्राह्मण को फलाहार का भोजन करवाएं। उन्हें दक्षिणा दें, फिर आप दिन में केवल एक बार ही भोजन करें।
. इस दिन श्री विष्णु जी की पूजा-आराधना कर इंदिरा एकादशी व्रत कथा सुनें। एकादशी के व्रत का पारण एकादशी के अगले दिन सुबह करें।

इंदिरा एकादशी व्रत कथा 
ऐसा कहा जाता है कि एक समय राजा इन्द्रसेन ने सपने में अपने पिता को नरक में यातनाएं भोगते देखा और उनके पिता ने कहा कि मुझे नरक से मुक्त करने के उपाय करो।
तब राजा इंद्रसेन ने देव ऋषि नारद जी से पूछा की मृत्यु पश्चात मोक्ष प्राप्त करने का कोई विशेष उपाय हो तो कृपया बताएं। तब नारद जी ने कहा कि तुम आश्विन मास में कृष्ण पक्ष की इंदिरा एकादशी का संपूर्ण विधिपूर्वक व्रत उपवास करो। इस व्रत से तुम्हारे पिता को मोक्ष मिल जाएगा। 

देव ऋषि नारद जी के सुझाव पर राजा इंद्रसेन ने आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत किया और इस व्रत से प्राप्त हुए पुण्य को अपने पिता को दान कर दिया। इस व्रत से इंद्रसेन के पिता नरक से मुक्त होकर विष्णु लोक बैकुंठ में पहुंच गए। कई बार पितृरों का उद्धार न हो पाने के कारण घर में सभी को पितृदोष लग जाता है। जिससे हर कार्य में बार-बार रुकावटें आती हैं। 

ऐसे लोगों के लिए ये व्रत अवश्य ही करना चाहिए ये व्रत ऐसे लोगों के लिए वरदान के समान है। इस व्रत को पूर्ण विधि-विधान से अपने सभी परिवारजन के साथ मिलकर रखेंगे तो पितृरों का शीघ्र ही उद्धार होगा और उनको मोक्ष प्राप्त होगा। 

Created On :   24 Sept 2019 3:23 PM IST

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