गौरी विसर्जन: करें माता पार्वती की आराधना, जानें गौरी विसर्जन विधि
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। गौरी पूजन का पर्व हर वर्ष गणेश चतुर्थी व गणेश विसर्जन के बीच मनाया जाता है, जो कि इस बार 07 सितंबर शनिवार यानी कि आज मनाया जा रहा है। इस दिन महिलाएं माता पार्वती की आराधना करती हैं। उनकी प्रतिष्ठा की जाती है। वहीं दूसरे दिन मां की मुख्य पूजा होती है और तीसरे दिन देवी की विदाई होती है। बता दें कि यह त्यौहार महाराष्ट्र में मनाया जाता है।
मान्यता के अनुसार गौरी पूजन आम तौर पर सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है। देवी को प्रसन्न करने से घर में खुशहाली आती है व धन-धान्य बढ़ाता है। ये पति-पत्नी के रिश्तों को बेहतर बनाता है। इसके अलावा इससे शादी में आने वाली बाधाएं दूर होती है और मनचाहा एवं योगय जीवनसाथी मिलता है।
पूजा विधि
- प्रथम पूज्य श्री गणेश से पूजन से आरंभ करें।
- गणपित को सबसे पहल गंगाजल से स्नान कराएं।
- फिर पंचामृत से फिर दोबारा गंगाजल से स्नान कराकर साफ कपड़े से पोछकर उन्हें आसन पर रखें।
- इसके बाद मां गौरी को आपके घर आने और आसन पर विराजमान होने के लिए उनका आवाहन करें।
- अब वस्त्र अर्पण कर उन्हें धूप-दीप दिखाएं और फूल-माल, प्रसाद व दक्षिणा चढ़ाएं।
- पूजन के समय ऊं गौर्ये नम: व ऊं पार्वत्यै नम: मंत्र का जाप करें।
गौरी विसर्जन विधि
. विसर्जन के दिन महिलाएं सूर्य उदय के पूर्व उठे और खुद को शुद्ध कर स्नान करें।
. विसर्जन से पहले मां गौरी की विधिवत पूजा करें।
. उनके आगे दीपक लगाएं।
. उनको सुन्दर सुंगंधित फूल अर्पित करें।
. उनको फल, मिष्ठान, हलवा पूरी आदि का भोग लगाएं।
. उनकी कपूर से आरती कर उनके मन्त्र ॐ पार्वत्यै नमः का जाप करें।
. पूजा पूर्ण होने के बाद गाजे बाजों के साथ उनकी मूर्ति विसर्जन के लिए निकलें।
. किसी पवित्र नदी सरोवर पर जाकर उनका मूर्ति विसर्जन करें।
. मां गौरी से अपनी पूजा स्वीकार करने की प्रार्थना करे और उनसे पूजा में हुई भूल की क्षमा याचना करें|
. विसर्जन के दौरान मां गौरी के १०८ नाम का मन में जाप करें।
. विसर्जन के बाद प्रसाद वितरण करें भ्रमणों को भोजन कराएं उनको दान दें।
. उसके बाद अपना व्रत का पारायण करें।
Created On :   6 Sept 2019 10:29 AM IST