राष्ट्रीय युवा दिवस 2024: पूरे विश्व में बिखेरी भारतीय संस्कृति की महक, स्वामी विवेकानंद की 161वीं जयंती पर जानिए उनके जीवन से जुड़ी खास बातें
- पूरे विश्व में हिंदू धर्म को दिलाई खास पहचान
- स्वामी विवेकानंद की आज 161वीं जयंती
- उनकी बातें दुनिया भर को प्रेरणा देने का काम करती हैं
डिजिटल डेस्क, भोपाल। स्वामी विवेकानंद जयंती हर साल 12 जनवरी को देश और विदेश में मनाई जाती है। इस दिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। आज देश विवेकानंद की 161वीं जयंती मना रहा है। 1893 में अमेरिका में भारतीय धर्म और दर्शन का ज्ञान देने वाले विवेकानन्द का जन्म 12 जनवरी 1863 में कोलकाता में हुआ था। विवेकानंद का निधन 4 जुलाई 1902 को हुआ था। उनका पूरा नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था। सम्पूर्ण विश्व में भारतीय संस्कृति की महक बिखेरने वाले संन्यासी, प्रकांड विद्वान और युग प्रवर्तक के रूप में जाने जाते हैं।
उनका असली नाम नरेंद्रनाथ दत्त था, जिन्हें नरेन के नाम से भी जाना जाता है। वह बहुत कम उम्र में ही उनका झुकाव अध्यात्म की तरफ हो गया था और वह संन्यासी बन गए थे। केवल 25 साल की उम्र में विवेकानंद ने सांसारिक मोह माया को त्यागकर संन्यासी जीवन अपना लिया था। आइए जानते हैं जयंती पर स्वामी के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें
विश्व धर्म सम्मेलन तालियों की गूंज
स्वामी विवेकानंद की कही बातें दुनिया भर को प्रेरणा देती हैं। उन्होंने पश्चिमी देशों को योग-वेदांत की शिक्षा से अवगत कराया था। विवेकानंद ने 19वीं शताब्दी के अंत में विश्व मंच पर हिंदू धर्म को एक मजबूत पहचान दिलाई थी। अमेरिका में 11 सितंबर 1893 में हुए विश्व धर्म सम्मेलन में विवेकानंद ने हिंदू धर्म पर ऐसा भाषण दिया था कि पूरा संसद तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा था। इसके बाद तीन साल तक विवेकानंद ने अमेरिका में रहकर धर्म का प्रचार किया था। विवेकानंद के पिता विश्वनाथ दत्त कलकत्ता हाईकोर्ट के एक प्रसिद्ध वकील थे। विवेकानंद के दादा दुर्गाचरण दत्त संस्कृत और फारसी के विद्वान थे। वो परिवार को छोड़कर साधु बन गए थे। स्वामी विवेकानंद अपनी तेज बुद्धि और स्मरण शक्ति के लिए जाने जाते हैं। वे हजारों पन्नों की किताबें कुछ ही घंटो में याद कर लिया करते थे। मस्तिष्क को अधिक कुशाग्र बनाने के लिए विवेकानंद ने अभ्यास भी किया था।
विवेकानंद के पिता विश्वनाथ दत्त कलकत्ता हाईकोर्ट के एक प्रसिद्ध वकील थे और उनके दादा दुर्गाचरण दत्त संस्कृत और फारसी के विद्वान थे। वो परिवार को छोड़कर साधु बन गए थे। स्वामी विवेकानंद अपनी तेज बुद्धि और स्मरण शक्ति के लिए जाने जाते हैं। वे हजारों पन्नों की किताबें कुछ ही घंटो में याद कर लिया करते थे। मस्तिष्क को अधिक कुशाग्र बनाने के लिए विवेकानंद ने अभ्यास भी किया था।
विवेकानन्द ने विश्व भ्रमण के साथ उत्तराखंड के अनेक क्षेत्रों में भी भ्रमण किया। इनमें अल्मोड़ा और चम्पावत में उनकी विश्राम स्थली को धरोहर के रूप में सुरक्षित किया गया है। स्वामी विवेकानन्द पहली शख्सियत थे, जिन्होंने 'लीग ऑफ़ नेशन्स' की स्थापना से पहले साल 1897 में अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, गठबंधनों और कानूनों का आह्वान किया. ताकि दुनिया के सभी राष्ट्रों के बीच समन्वय स्थापित किया जा सके।
स्वामी की कही हुई अनमोल बातें
1. हमें तब तक सीखते रहना चाहिए, जब तक हम जीवित हैं, क्योंकि अनुभव ही सबसे अच्छा शिक्षक है।
2. ज्ञान हर जगह विद्यमान है, मनुष्य सिर्फ उसका अविष्कार करता है।
3. सबसे बड़ा पाप खुद को कमजोर समझना है।
4. दिल और दिमाग का टकराव होने पर हमेशा दिल की बात सुननी चाहिए।
5. हम जितना भी दूसरों का भला करेंगे, हमारा ह्रदय उतना ही शुद्ध होगा।
Created On :   12 Jan 2024 2:25 AM IST