रामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह: प्राण प्रतिष्ठा का विरोध करने वाले शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के बदले तेवर, खुद को बताया मोदी का प्रशंसक
- प्राण प्रतिष्ठा में शामिल न होने की घोषणा कर चुके हैं शंकराचार्य
- अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा को बताया था अशास्त्रीय
- अब की पीएम मोदी की तारीफ
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अयोध्या के नवनिर्मित राम मंदिर में रामलला प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम शुरू होने में कुछ ही घंटे शेष बचे हैं। इस भव्य समारोह में पीएम मोदी समेत देश की कई नामचीन हस्तियां शामिल होने वाली हैं। इस बीच राम मंदिर के उद्घाटन से लेकर प्राण प्रतिष्ठा के समय पर सवाल उठाने वाले शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का बड़ा बयान आया है।
खुद को बताया मोदी का प्रशंसक
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद जो कि प्राण प्रतिष्ठा के लेकर सवाल उठा रहे थे, उन्होंने अपने ताजा बयान में पीएम मोदी की तारीफ की है। उन्होंने कहा है कि वो मोदी विरोधी नहीं हैं, बल्कि उनके प्रशंसक हैं। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा, "सच्चाई ये है कि पीएम मोदी ने हिंदुओं को आत्म-जागरूक बनाया है जो छोटी बात नहीं है। हमने कई बार सार्वजनिक रूप से कहा है कि हम मोदी विरोधी नहीं बल्कि उनके प्रशंसक हैं। भारत के दूसरे ऐसे प्रधानमंत्री का नाम बताइए जिसने पहले भी मोदी की तरह हिंदुओं को मजबूत किया हो? हमारे कई प्रधानमंत्री रहे हैं और वे सभी अच्छे रहे हैं - हम किसी की आलोचना नहीं कर रहे हैं।"
मोदी कर रहे हिंदुओं को मजबूत करने का काम
शंकराचार्य ने सवाल करते हुए कहा, “जब अनुच्छेद 370 को खत्म किया गया तो क्या हमने इसका स्वागत नहीं किया? जब नागरिकता संशोधन कानून आया तो क्या हमने इसकी प्रशंसा नहीं की? क्या हमने पीएम मोदी के स्वच्छता अभियान में बाधा डाली? हमने इस बात की भी सराहना की कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से भूमि पर राम मंदिर बनाए जाने के फैसले के बाद कानून और व्यवस्था की स्थिति में कोई व्यवधान नहीं आया।'' उन्होंने कहा, ''जब भी हिंदू मजबूत होते हैं तो हमें खुशी होती है और नरेंद्र मोदी वह काम कर रहे हैं।"
बता दें कि इससे पहले देश के चारों पीठों के शंकराचार्यों ने अलग-अलग वजह बताकर राम मंदिर उद्धाटन समारोह में न जाने का फैसला लिया था। वहीं ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा था कि मंदिर का निर्माण पूरा न होने के पहले प्राण प्रतिष्ठा कराना आशास्त्रीय है। अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा करना हमारे धर्म शास्त्रों में निषेध है।
Created On :   21 Jan 2024 11:44 PM IST