Nirbhaya Case: फांसी को रोकने के लिए अपराधियों का नया पैंतरा, इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में दायर की याचिका

Three convicts of Nirbhaya gang rape case approached International Court of Justice
Nirbhaya Case: फांसी को रोकने के लिए अपराधियों का नया पैंतरा, इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में दायर की याचिका
Nirbhaya Case: फांसी को रोकने के लिए अपराधियों का नया पैंतरा, इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में दायर की याचिका
हाईलाइट
  • इस मामले में चारों दोषियों को 20 मार्च को फांसी दी जानी है
  • तीन दोषियों में विनय शर्मा
  • पवन कुमार कुमार गुप्ता
  • और अक्षय कुमार सिंह है
  • निर्भया गैंगरेप मामले के तीन दोषियों ने फांसी से बचने के लिए ICJ का रुख किया

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। निर्भया गैंगरेप मामले के तीन दोषियों ने फांसी से बचने के लिए इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस का रुख किया है। इन तीन दोषियों में विनय शर्मा, पवन कुमार कुमार गुप्ता, और अक्षय कुमार सिंह है। तीनों ने अपने वकील एपी सिंह के माध्यम से याचिका दायर की, जिसमें मौत के वारंट को गैरकानूनी बताया गया है। सिंह ने अपनी याचिका में दिल्ली में कोरोनोवायरस के प्रकोप का भी उल्लेख किया है।

क्या कहा गया है याचिका में?
सिंह ने कहा, "COVID 2019 (कोरोनावायरस) के कारण दिल्ली एनसीआर और अन्य राज्यों में हेल्थ इंमरजेंसी का सामना करना पड़ रहा है। सोमवार 16.03.2020 से अदालतों में केवल अति महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई की जाएगी और उन मुकदमों से संबंधित वकीलों और पक्षकारों को ही अदालत में प्रवेश की अनुमति होगी। याचिका में कहा गया है कि इस बात से सभी वाकिफ है कि दिल्ली एनसीआर सहित दुनिया भर में पानी और हवा को लेकर क्या हो रहा है? ज़िन्दगी छोटी से छोटी होती जा रही है, फिर मौत की सज़ा क्यों?

याचिका में फांसी के फैसले को गैरकानूनी बताया
याचिका में कहा गया है कि तिहाड़ जेल अधिकारी दोषियों को फांसी पर लटकाने की तैयारी जल्दबाजी में कर रहे हैं। इस तरह की जल्दबाजी और गुप्त तरीके से किया गया फांसी का फैसला सीधे तौर पर गैरकानूनी होगा। क्योंकि उपर्युक्त तीनों अपराधी अभी तक अपना कानूनी उपाय नहीं कर पाए हैं। मौत की सजा के दोषियों ने ICJ से मौत की सजा को रोकने का अनुरोध किया। याचिका में कहा गया है कि मौत की सजा की प्रगतिशील और आधुनिक अंतर्राष्ट्रीय युग में कोई प्रासंगिकता नहीं है।

कई याचिकाएं लंबित
याचिका में यह भी कहा गया है कि सजा के निलंबन के मुद्दे पर दिल्ली के उपराज्यपाल के समक्ष एक याचिका, कड़कड़डूमा कोर्ट में एक आपराधिक मामला जिसमें अदालत ने पुलिस से एक्शन टेकन रिपोर्ट के लिए कहा है, दिल्ली हाईकोर्ट में एक रिट पिटीशन जिसमें दया याचिका को खारिज करने को चुनौती दी गई थी, दो अन्य क्रिमिनल अपील्स और एक स्पेशल लीव पिटीशन पहले से ही लंबित है।

दोषी मुकेश की याचिका SC में खारिज
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने दोषी मुकेश सिंह की सभी कानूनी उपायों को बहाल करने की याचिका को खारिज कर दिया। मुकेश ने अपनी याचिका में केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और एमीकस क्यूरी वृंदा ग्रोवर पर आपराधिक साजिश रचने का आरोप लगाते हुए सीबीआई जांच की मांग की थी। जस्टिस अरुण मिश्रा और एमआर शाह की बेंच ने मुकेश की इस याचिका को आधारहीन बताया।

बता दें कि कानूनी पैंतरे चलकर फांसी से बच रहे निर्भया केस के चारों दोषियों के सभी कानूनी विकल्प खत्म हो चुके हैं। ट्रायल कोर्ट ने 6 मार्च को चौथा डेथ वॉरंट जारी कर निर्भया के दोषियों मुकेश सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय शर्मा (26) और अक्षय सिंह (31) की फांसी 20 मार्च को सुबह साढ़े 5 बजे तय की है।

16 दिसंबर 2012 की घटना
बता दें कि दिल्ली की छात्रा निर्भया के साथ चलती बस के अंदर बर्बर तरीके से 16 दिसंबर 2012 को रेप किया गया था। इसके बाद वह उसे सड़क पर छोड़कर चले गए थे। गंभीर हालत में निर्भया को दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बाद में उसे सिंगापुर इलाज के लिए भेजा गया था लेकिन उसने दम तोड़ दिया। इस मामले ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक जन आक्रोश उत्पन्न किया था।

Created On :   16 March 2020 3:00 PM GMT

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