राजस्थान: राज्यपाल का सीएम गहलोत को खत, कहा- जब आप राज्यपाल की रक्षा नहीं कर सकते तो राज्य में कानून व्यवस्था का क्या होगा
- संबित पात्रा ने सीएम गहलोत पर साधा निशाना
- सीएम का आरोप
- राज्यपाल विधानसभा सत्र की अनुमति नहीं दे रहे
- सीएम बहुमत साबित करना चाहते हैं
- राज्यपाल को भेजा जाएगा जवाब: सुरजेवाल
डिजिटल डेस्क, जयपुर। राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने सीएम अशोक गहलोत को पत्र लिखकर कहा कि इससे पहले कि मैं विधानसभा सत्र के संबंध में विशेषज्ञों से चर्चा करता, आपने सार्वजनिक रूप से कहा कि यदि राजभवन घेराव होता है तो यह आपकी जिम्मेदारी नहीं है। यदि आप और आपका गृह मंत्रालय राज्यपाल की रक्षा नहीं कर सकता तो राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति में आपका क्या मंतव्य है? बता दें कि सीएम गहलोत ने राजभवन में राज्यपाल के साथ बैठक के बाद बाहर आकर सार्वजनिक रूप से बयान में कहा था कि विधायक राजभवन में कब तक रहेंगे और धरना कब तक चलेगा। इस पर निर्भर करेगा कि राज्यपाल कब तक पत्र देते हैं और उसमें क्या लिखते हैं। उसके बाद ही कुछ फैसला करेंगे कि हमें क्या करना है। इस दौरान सीएम गहलोत ने यह भी कहा था कि यदि राजभवन घेराव होता है तो यह मैरी जिम्मेदारी नहीं है।
राज्यपाल ने गहलोत को लिखे खत में कहा कि राज्यपाल की सुरक्षा के लिए किस एजेंसी से संपर्क किया जाना चाहिए? मैंने कभी किसी सीएम का ऐसा बयान नहीं सुना। क्या यह एक गलत प्रवृत्ति की शुरुआत नहीं है, जहां विधायक राजभवन में विरोध प्रदर्शन करते हैं? सीएम को लिखे खत में कलराज मिश्रा ने कहा कि राज्यपाल की सुरक्षा के लिए किस एजेंसी से संपर्क किया जाना चाहिए? क्या यह एक गलत प्रवृत्ति की शुरुआत नहीं है, जहां विधायक राजभवन में विरोध प्रदर्शन करते हैं?
पत्र में कलराज मिश्रा आगे लिखते हैं कि राज्य सरकार के जरिए 23 जुलाई की रात को विधानसभा के सत्र को काफी कम नोटिस के साथ बुलाए जाने की पत्रावली पेश की गई। पत्रावली का एनालिसिस किया गया। कानून विशेषज्ञों से सलाह ली गई।कलराज मिश्रा ने कहा कि शॉर्ट नोटिस पर सत्र बुलाए जाने के लिए न तो कोई कारण दिया गया है और न ही कोई अजेंडा प्रस्तावित किया गया। सामान्य प्रक्रिया में सत्र बुलाए जाने के लिए 21 दिन का नोटिस दिया जाना जरूरी होता है। राज्यपाल ने कहा कि राज्य सरकार को सभी विधायकों की स्वतंत्रता सुनिश्चित करनी चाहिए।
राजभवन में गहलोत गुट का धरना
बता दें कि विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने को लेकर गहलोत गुट के विधायकों ने शुक्रवार को राजभवन में धरना दिया। इस दौरान राज्यपाल कलराज मिश्रा ने विधायकों से बात भी की। उन्होंने कहा कि आपकी मांग हमने सुन ली है। पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। संवैधानिक संस्थाओं का टकराव नहीं होना चाहिए। इसके बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बाहर आकर मीडिया से कहा कि राज्यपाल हमारे संवैधानिक प्रमुख हैं। बिना ऊपर के दबाव के राज्यपाल इस फैसले (विधानसभा सत्र बुलाने का फैसला) को रोक नहीं सकते थे। उऩ्होंने कल फैसला क्यों नहीं किया? हमने उनसे जल्द ही फिर से निर्णय लेने का अनुरोध किया है। लोग इंतजार कर रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि राज्यपाल कोई दबाव में नहीं आएंगे। वह कोई निर्णय लेंगे। हमें उम्मीद है कि विधानसभा सत्र जल्द शुरू होगा। इसलिए हम यहां विरोध में बैठे हैं।
सीएम बहुमत साबित करना चाहते हैं, राज्यपाल को भेजा जाएगा जवाब: सुरजेवाला
सीएम गहलोत के बयान के बाद कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि सीएम बहुमत साबित करना चाहते हैं, कोरोना संकट पर विधानसभा सत्र बुलाना चाहते हैं और जिन्हें लगता है कि कांग्रेस के पास बहुमत नहीं है, उन्हें चुप कराना चाहते हैं। राज्यपाल ने हमें बताया कि वह संविधान का पालन करेंगे। राज्यपाल को संविधान के आर्टिकल 174 का पालन करना होगा। उन्होंने कहा कि राज्यपाल को जवाब भेजा जाएगा।
संबित पात्रा ने सीएम गहलोत पर साधा निशाना
भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा है कि अशोक गहलोत राजस्थान में जिस प्रकार से पॉलिटिसाइज ब्यूरोक्रेसी, भ्रष्टाचार और बदले के भाव के साथ काम कर रहे हैं, उसका खुलासा आज मीडिया ने किया है। एसओजी को जो हेड कर रहे थे अनिल पालिवाल, उनकी धर्मपत्नी और उनके परिवार का व्यापारिक संबंध अशोक गहलोत जी के परिवार के साथ है। जिस फेयरमॉन्ट होटल में कांग्रेस के विधायक रखे गए थे उसकी प्रमोटर अनिल पालीवाल जी की धर्मपत्नी है। वैभव गहलोत (अशोक गहलोत के बेटे) भी इस होटल से जुड़े हैं।
सीएम का आरोप राज्यपाल विधानसभा सत्र की अनुमति नहीं दे रहे
बता दें कि राजस्थान में सियासी घमासान पर राजस्थान उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को सचिन पायलट गुट को राहत देते हुए स्पीकर के नोटिस पर फिलहाल के लिए स्टे लगाते हुए यथास्थिति को बरकरार रखने के निर्देश दिए हैं। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री ने राज्यपाल पर आरोप लगाया कि वे विधानसभा सत्र बुलाना चाहते हैं, लेकिन राज्यपाल की ओर से अभी तक मंजूरी नहीं मिली है। सीएम ने कहा कि अगर राज्यपाल विधानसभा का सत्र नहीं बुलाते हैं तो जनता राजभवन का घेराव कर सकती है। ऐसी स्थिति में हमारी जिम्मेदारी नहीं होगी।
गहलोत ने कहा कि हम सभी विधायक राज्यपाल से मिलेंगे और जल्द सेशन बुलाने की अपील करेंगे। विधानसभा में सब दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा, सारी बातें देश के सामने आएंगी। इसके बाद वे अपने समर्थक विधायकों के साथ धरना के लिए राजभवन पहुंचे। धरना खत्म होने के बाद सीएम अशोक गहलोत ने 9:30 बजे राज्य कैबिनेट की बैठक बुलाई, जो अब खत्म हो गई है। बैठक से पहले कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा था कि आज ही राज्यपाल को जवाब दिया जाएगा, लेकिन फिलहाल किसी कांग्रेस की ओर से कोई जवाब नहीं आया है।
राजस्थान के राज्यपाल सचिवालय का जवाब
23 जुलाई की रात को राज्य सरकार ने शॉर्ट नोटिस पर विधानसभा का सत्र बुलाने के लिए एक पेपर प्रस्तुत किया था। पेपर का विश्लेषण किया गया और कानूनी विशेषज्ञों से इस पर सलाह ली गई थी। शॉर्ट नोटिस पर सत्र आयोजित करने का कोई औचित्य नहीं है और न ही इसके लिए कोई एजेंडा प्रस्तावित किया गया है। सामान्य प्रक्रियाओं के अनुसार सत्र के लिए 21 दिन के नोटिस की आवश्यकता होती है। राज्य सरकार को सभी विधायकों की स्वतंत्रता सुनिश्चित करनी चाहिए।
Created On :   24 July 2020 7:14 PM GMT