प्रियंका गांधी किसान पंचायत के जरिए कांग्रेस को कर रही मजबूत, भाई राहुल भी जमकर साध रहे मोदी-शाह पर निशाना
- 10 फरवरी को प्रियंका गांधी ने सहारनपुर के चिलकाना में किसान महापंचायत को संबोधित किया था।
- कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी बिजनौर में किसान पंचायत कर कांग्रेस को मजबूत करने की कोशिश करेंगी।
- कॉर्पोरेट्स हड़प लेंगे 80 लाख करोड़ का कृषि-कारोबार : राहुल गांधी
डिजिटल डेस्क (भोपाल)। नए कृषि कानूनों को वापसी की मांग को लेकर चल रहे किसान आंदोलन के जरिए सियासी दल अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने में जुटे है। इसी क्रम में सहारनपुर के बाद आज (सोमवार) कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी बिजनौर में किसान पंचायत कर कांग्रेस को मजबूत करने की कोशिश करेंगी। प्रियंका गांधी ने फेसबुक के माध्यम से लिखा कि, 75 साल से इस देश का पेट भरने वाले अन्नदाता किसानों से संवाद ही देश को प्रगति की ओर ले जाएगा। खेतों से जुड़ी नीतियां खेत के रखवाले बनाएंगे। आज बिजनौर में किसाना पंचायत में किसान बहनों और भाईयों के बीच उपास्थित रहूंगी।
बिजनौर कांग्रेस जिलाध्यक्ष शेरबाज पठान ने बताया कि राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी सोमवार को चांदपुर पहुंचेंगी। वह रामलीला मैदान में किसान पंचायत को संबोधित करेंगी। प्रियंका गांधी व कांग्रेस के बाकी नेता किसानों को कृषि कानूनों के खिलाफ जागरूक कर रहे हैं। पार्टी पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं व किसानों को महापंचायत में शामिल होने के लिए संपर्क किया जा रहा है।
इससे पहले, 10 फरवरी को प्रियंका गांधी ने सहारनपुर के चिलकाना में किसान महापंचायत को संबोधित किया था। प्रियंका गांधी ने मां शाकंभरी देवी मंदिर में दर्शन भी किए थे। इसके अलावा रायपुर स्थित खानकाह में हजरत रायपुरी की दरगाह में जियारत की थी।
ज्ञात हो कि किसान आंदोलन के बाद रालोद की ओर से हो रही महापंचायतों में उमड़ रही भीड़ को देखते हुए राजनीतिक दल इस आंदोलन के माध्यम से अपनी जमीन को मजबूत करने की तैयारी में है। मथुरा, बड़ौत के बाद शामली की पंचायतों में उमड़ रही भीड़ अन्य सियासी दलों को बेचैन कर रही है। बेशक बसपा और सपा खामोश हैं, लेकिन कांग्रेस इस सियासी फसल को काटने के लिए बेकरार है। कांग्रेस जहां पर रालोद का प्रभाव जीरो है वहां पर किसानों को अपने पाले में करना चाहती है। वहीं पुराने कांग्रेसी किलों में रालोद की सेंधमारी को रोकने की भी रणनीति बनाई गई है, इसलिए पुराने कांग्रेसी गढ़ सहारनपुर से इसकी शुरूआत की गयी। आगे विधानसभा चुनाव है, इसलिए सहारनपुर से होकर आसपास के अपने प्रभाव वाले पश्चिमी जिलों में कांग्रेस धरातल में उतरकर किसान आंदोलन के माध्यम से अपने वोट बैंक को तैयार करने की फिराक में है।
कॉर्पोरेट्स हड़प लेंगे 80 लाख करोड़ का कृषि-कारोबार : राहुल गांधी
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रविवार को दावा किया कि तीन नए कृषि कानून कॉर्पोरेट्स और अमीर लोगों को भारत में 80 लाख करोड़ रुपये के कृषि-व्यवसाय को हथियाने में मदद करेंगे। पूर्वी असम के शिवसागर में एक सार्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद को किसानों के हितों के बारे में इस तथ्य के अलावा कुछ नहीं बताया कि वे लगभग तीन महीने से आंदोलन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार पहले ही गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) और विमुद्रीकरण (नोटबंदी) को लागू करके भारतीय अर्थव्यवस्था और देशभर के लोगों की माली हालत तबाह कर चुकी है, और अब यह इन तीन कानूनों द्वारा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने की कोशिश कर रही है।
असम में 2021 के विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी का प्रचार अभियान शुरू करते हुए उन्होंने कहा कि भारत को नागपुर से रिमोट-नियंत्रित नहीं होना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि देश की हर संपत्ति चंद लोगों के हित के लिए बेची जा रही है। उन्होंने दावा किया कि चाय बागान श्रमिकों को (मजदूरी के रूप में) रोजाना केवल 167 रुपये दिए गए। समूचे चाय बागान गुजरात के व्यापारियों को सौंपे जा रहे हैं। अगर कांग्रेस सत्ता में लौटती है, तो हम चाय बागान श्रमिकों को दैनिक मजदूरी के रूप में रोजाना 365 रुपये देंगे।
कांग्रेस नेता ने यह भी वादा किया कि विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) अधिनियम असम या देश के किसी भी हिस्से में किसी भी कीमत पर लागू नहीं किया जाएगा। घुसपैठ की समस्या को सौहार्दपूर्ण ढंग से और बातचीत के जरिए सुलझाने का सुझाव देते हुए राहुल गांधी ने कहा कि अगर असम में हिंसा फैलती है, तो इससे पूरा देश प्रभावित होगा।
उन्होंने कहा, असम भारत का एक सुंदर फूल है। भारत के लिए असम की एकता और विकास जरूरी है और असम के लिए भारत का विकास जरूरी है। कांग्रेस असम समझौते को लेकर आई और शांति स्थापित की। कांग्रेस ऐतिहासिक असम समझौते की रक्षा किसी भी कीमत पर करेगी। राहुल गांधी के साथ मंच पर पार्टी के कई वरिष्ठ नेता भी मौजूद थे। वे कंधों पर असमिया गमछा डाले हुए थे, जिस पर प्रतीकात्मक रूप से सीएए शब्द लिखकर उस पर क्रॉस चिन्ह बना हुआ था।
राहुल ने कहा, सुन लीजिए ओ हम दो हमारे दो! हम सीएए को कभी लागू नहीं होने देंगे और इसलिए मैं यह गमछा पहन रहा हूं, जिस पर सीएए लिखा हुआ है और उस पर क्रॉस चिन्ह बना हुआ है। सीएए और एनआरसी को लेकर असम की जनता के मन में विरोध के भाव भांपने के बाद राहुल गांधी ने मौके की नजाकत को परखते हुए जनसभा में अपनी बात रखने की भरपूर कोशिश की।
रैली में छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल और अखिल गोगोई जैसे कई स्थानीय कांग्रेसी नेताओं ने राहुल गांधी की अगवानी की। 72वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई को मरणोपरांत पद्मभूषण पुरस्कार की घोषणा की आलोचना करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि यह पुरस्कार प्रधानमंत्री कार्यालय में एक अधिकारी को भी दिया गया था। उन्होंने कहा कि गोगोई ने असम का निर्माण किया, लोगों को एकजुट किया, तो असम व यहां के लोगों के लिए अपने जीवन का बलिदान कर दिया। और, उनकी तुलना पीएम कार्यालय में तैनात एक नौकरशाह से की गई।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, जो असम चुनाव के केंद्रीय पर्यवेक्षकों में से एक हैं, ने अपने भाषण में कहा कि कांग्रेस ने देश का निर्माण किया, हवाईअड्डों, तेल आधारित उद्योगों और अन्य उपक्रमों का निर्माण किया, लेकिन भाजपा इन सभी प्रतिष्ठित प्रतिष्ठानों को बेच रही है। असम प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष रिपुन बोरा ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कहने पर ऐतिहासिक असम समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने के साथ ही असम में लंबे समय तक शांति स्थापित रही।
बोरा ने कहा कि बाढ़ के कहर से लेकर उग्रवाद तक, राजीव गांधी से लेकर राहुल गांधी तक - कांग्रेस का नेतृत्व हमेशा असम से संबंधित किसी भी मुद्दे से जुड़ा रहा है और वे किसी भी संकट और समस्याओं के समय राज्य में आते हैं। कांग्रेस विधायक दल के नेता देवव्रत सैकिया ने आरोप लगाया कि असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल और वित्त व स्वास्थ्य मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा गुजरात और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एजेंट हैं।
लोकसभा सांसद व कांग्रेस अभियान समिति के अध्यक्ष प्रद्युत बोरदोलोई, एआईसीसी के महासचिव व पार्टी के असम मामलों के प्रभारी जितेंद्र सिंह, कांग्रेस मेनिफेस्टो समिति के अध्यक्ष व सांसद गौरव गोगोई भी इस अवसर पर उपस्थित थे। 126 सदस्यीय असम विधानसभा के चुनाव पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल और पुदुचेरी के चुनावों के साथ ही अप्रैल-मई में होने की संभावना है।
Created On :   15 Feb 2021 12:11 PM IST