कनाडा में बदलेगा चेहरा?: कौन हैं क्रिस्टिया फ्रीलैंड, जो ट्रूडो को कर सकती हैं रिप्लेस, जानें क्यों अपने लीडर को हटाने के लिए तैयार हैं सांसद
- सांसदों ने ट्रूडो को हटाने की कर रहे हैं मांग
- सर्वे की वजह से बढ़ा था असंतोष
- क्यों मिल सकता है क्रिस्टिया को मौका?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जस्टिन ट्रूडो ने अपनी राजनीतिक जमीन को मजबूत करने के लिए भारत से रिश्ते खराब किए हैं। साथ ही उनकी पार्टी में भी नाराजगी दिख रही है। वहां के एक लिबरल सांसद सीन केसी ने ट्रूडो के इस्तीफे की मांग की और कहा कि उनके जाने का वक्त आ गया है। वे अकेले सांसद नहीं हैं जो नया नेतृत्व ढूंढ रहे हैं। इतना ही नहीं बल्की इस्तीफे की मांग करके वे ऐसे रास्ते बना रहे हैं कि पीएम अगर खुद ना मानें तो उनको पार्टी लीडर के पद से जबरदस्ती हटा दिया जाए।
सर्वे की वजह से बढ़ा असंतोष
पार्टी के सदस्य इसलिए इतने गुस्सा हैं क्योंकि हाल ही में हुए सर्वे में विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी से ट्रूडो काफी पीछे नजर आ रहे हैं। कनाडा ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन के पोल ट्रैकर में दिख रहा है कि लिबरल पार्टी विपक्षी दल से करीब 20 प्रतिशत से पीछे चल रही है। अगर तुरंत चुनाव हो जाएं तो लिबरल पार्टी को हारने से कोई नहीं बचा सकता है।
ट्रूडो के खिलाफ एक हो रहे सांसद
कनाडा के मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रूडो को हटाने के लिए सांसद एकसाथ आ रहे हैं। टोरंटो स्टार ने सबसे पहले इस अंदर के मूवमेंट का खुलासा किया था। जिसके मुताबिक, करीब 30 सांसद ने लिखित में दस्तावेज दिया है। इसमें ट्रूडो को हटाने की मांग की गई है। लेकिन इससे काम बनता नहीं दिख रहा है। क्योंकि संसद में 150 से भी ज्यादा लिबरल्स हैं जिसके चलते पार्टी को लीडर बदलने के लिए कम से कम 50 सांसदों की मंजूरी चाहिए होगी।
क्यों घेरे जा रहे हैं ट्रूडो?
साल 2025 में अक्टूबर खत्म होने से पहले कनाडा में जनरल इलेक्शन होंगे। जिसमें पहले से ही लिबरल्स को अपनी हार दिख रही है। कनाडा में महंगाई लगातार बढ़ती ही जा रही है। इसके अलावा लोग वहां इमिग्रेंट्स की बढ़ती आबादी से भी काफी भयभीत हैं। साथ ही देश की सुरक्षा का मुद्दा भी खड़ा कर रहे हैं। बता दें साल 2015 से ही लिबरल्स की ही सरकार रही है। लेकिन अब इनके खिलाफ गुस्सा बढ़ गया है और लोग दूसरी पार्टी को मौका देना चाहते हैं।
किस नेता को मिल सकता है मौका?
लिबरल्स के पास एक ही विकल्प है कि वो अपनी पार्टी की लीडरशिप बदल दें। जिसका मतलब है ट्रूडो की जगह दूसरा नेता आ जाए। जिसकी जनता के बीच भी अच्छी छवि हो। साथ ही जिसमें कंजर्वेटिव्स को टक्कर देने में सक्षम हो। इसमें एक नाम आता है क्रिस्टिया फ्रीलैंड। क्रिस्टिया फ्रीलैंड करीब दस साल पहले लिबरल पार्टी की सदस्य बनी थीं और उन्होंने उतने ही समय में काफी लोकप्रियता कमाई थी। जिसके चलते लिबरल्स ट्रूडो की जगह इनको अपना लीडर बनाने के मूड में हैं।
संतुलन रखती हैं बरकरार
फ्रीलैंड की विदेश नीतियां मौजूदा पीएम से काफी महीन मानी जाती हैं। उन्होंने कई देशों के साथ कनाडा के रिश्तों को मजबूत करने पर जोर दिया है। अक्सर संतुलित रहने के बावजूद फ्रीलैंड की अपनी वोट बैंक मतलब कनाडा में बसे हुए सिखों के लिए उदारता देखने मिल जाती है। जिसके चलते वे कई जगहों पर घिरती हुई दिखी हैं। जेसे हरदीप सिंह निज्जर की मौत के बाद कनाडा की सरकार की तरफ से उसे श्रद्धांजलि दी गई थी। इस पर भी एक पत्रकार ने सवाल खड़ा किया था कि जीते जी निज्जर को उसे नो फ्लाई लिस्ट में डाल रखा था तो अब इतना सब क्यों किया जा रहा है। इस पर फ्रीलैंड ने गोलमोल जवाब देते हुए बात पलट दी थी। इससे ऐसा माना जा रहा है कि अगर ट्रूडो लीडरशिप छोड़ देते हैं तो भी फ्रीलैंड पार्टी की अइडियोलॉजी बदलने में ज्यादा सफल नहीं रह पाएंगी।
विपक्षी को नहीं वोट बैंक की जरूरत?
जहां लिबरल्स परेशान हैं वहीं कंजर्वेटिव्स की मांगें बढ़ रही हैं। इस पार्टी की कनाडा के सिख समुदाय के बीच ज्यादा पूछ नहीं है। जिसकी वजह से भी है कि ये पार्टी धार्मिक आजादी को लेकर ज्यादा स्पष्ट नहीं है। सिखों के सार्वजनिक जगहों पर कृपाण लेकर चलने से कई बार इस पार्टी ने गुस्सा जताया है।
Created On :   18 Oct 2024 4:17 PM IST