Analysis: क्यों 2 लाख से ज्यादा लोगों की जान लेने वाले स्वाइन फ्लू से 10 गुना ज्यादा खतरनाक है कोविड-19?

Why covid-19 is more dangerous than swine flu
Analysis: क्यों 2 लाख से ज्यादा लोगों की जान लेने वाले स्वाइन फ्लू से 10 गुना ज्यादा खतरनाक है कोविड-19?
Analysis: क्यों 2 लाख से ज्यादा लोगों की जान लेने वाले स्वाइन फ्लू से 10 गुना ज्यादा खतरनाक है कोविड-19?

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कोरोनावायरस ने पूरी दुनिया में तबाही मचा दी है। अब तक इस वायरस से 19 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके है। इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के एक दावे ने दुनिया के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। WHO के डायरेक्टर जनरल टेड्रोस एडहैनम घेब्रियेसुस ने कहा, "हम जानते हैं कि कोविड -19 तेजी से फैलता है। यह 2009 में फैली स्वाइन फ्लू महामारी की तुलना में 10 गुना ज्यादा घातक है।" बता दें कि कोरोनावायरस के मॉर्टेलिटी रेट और R0 (आर नॉट) से भी पता चलता है कि यह स्वाइन फ्लू की तुलना में कितना खतरनाक है।

स्वाइन फ्लू
अप्रैल 2009 में मैक्सिको में H1N1 वायरस से होने वाली बीमारी स्वाइन फ्लू सामने आई। अकेले अमेरिका में 60.8 मिलियन लोग और दुनिया भर में कम से कम 700 मिलियन लोग संक्रमित हुए। सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार दुनिया भर में वायरस से अनुमानित 151,700 से 575,400 लोग मारे गए। मौत का सही आंकड़ा इसलिए उपलब्ध नहीं है क्योंकि कई विकासशील देशों में मौतों की सही संख्या रिपोर्ट नहीं की जा सकी। सितंबर 2012 में जारी लैंसेट की एक स्टडी में बताया गया कि जो मामले रिपोर्ट नहीं किए गए उनमें अधिकांश दक्षिण पूर्व एशिया और अफ्रीका के थे।

कोविड-19
कोरोनावायरस किसी एक इकलौते वायरस का नाम नहीं है। यह वायरस की एक पूरी फैमिली है। 2002-2003 में सार्स वायरस फैला था, वो भी एक तरह का कोरोनावायरस था। अभी जो वायरस लोगों को संक्रमित कर रहा है वो भी एक तरह का कोरनावायरस है। 31 दिसंबर 2019 को ये चीन के शहर वुहान में पाया गया था। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने इस वायरस का नाम SARS-CoV-2 रखा है। इस वायरस से होने वाली बीमारी कोविड-19 है। इस वाययरस से अब तक 19 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं जबकि एक लाख से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है।

क्या है स्वाइन फ्लू और कोविड-19 का मॉर्टेलिटी रेट?
अमेरिका में अप्रैल 2009 और अप्रैल 2010 के बीच स्वाइन फ्लू के 60.8 मिलियन मामले थे। 274,000 से अधिक अस्पताल में भर्ती हुए और लगभग 12,500 मौतें हुईं। यानी संक्रमित मरीजों की तुलना में मरने वालों की संख्या 0.02 प्रतिशत थी। ये जो 0.02 प्रतिशत है, इसे हम मोर्टेलिटी रेट कहते हैं। मोर्टेलिटी रेट का मतलब है कि अगर आपको इंफेक्शन हो जाए तो जान जाने के कितने चांस है। 0.02 परसेंट का मतलब है कि इससे आपकी मौत होने के बहुत ही कम चांस है और आप रिकवर कर जाएंगे। 

स्वाइन फ्लू की तुलना में कोविड-19 का मॉर्टेलिटी रेट काफी ज्यादा है। अब तक कोविड-19 के 1,934,754 मामले सामने आ चुके हैं जिनमें से 120,438 लोगों की मौत हो चुकी है। यानी इसका मॉर्टेलेटी रेट 6 प्रतिशत के करीब आता है। हालांकि मॉर्टेलिटी रेट अलग-अलग देशों का अलग-अलग हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ये अलग-अलग फैक्टर्स पर निर्भर करता है। जैसे ज्योग्राफी, हेल्थ केयर की क्वालिटी, जनसंख्या की आयु और लाइफ स्टाइल। समय के साथ यह आंकड़ा बदलता भी रहता है।

स्वाइन फ्लू ओर कोविड-19 का R0
कोई भी बीमारी कितनी संक्रामक है इसे R0 (आर नॉट) में नापा जाता है। यह एक गणितीय समीकरण है जो दिखाता है कि प्रत्येक संक्रमित व्यक्ति से कितने लोग बीमार होंगे। मृत्यु दर की तरह ही, आर नॉट भी समय के साथ बदलता रहता है। ऐसा इसलिए क्योंकि वैज्ञानिक समय के साथ अधिक डेटा इकट्ठा करते हैं, और यह उस आधार पर भिन्न हो सकता है। जिस भी बीमारी का आर नॉट 1 से ज्यादा होता है उसे संक्रामक बीमारी माना जाता है।

कोविड-19 के लिए आर नॉट का अनुमान 1.4 से लेकर लगभग 5 तक है। कुछ रिसर्चर्स ने इसका अनुमान 2.2 के आसपास रखा है। इसका मतलब है कि एक संक्रमित व्यक्ति दो लोगों को संक्रमित कर सकता है। स्वाइन फ्लू का आर नॉट 1.5 के आस-पास है। इसका मतलब है कि यह कोविड-19 की तुलना में कम संक्रामक है।

Created On :   14 April 2020 5:11 PM IST

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