सुप्रीम कोर्ट में प्रवासी मजदूरों को भोजन, आश्रय देने की मांग वाली याचिका दायर

Petition seeking food, shelter to migrant laborers filed in Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट में प्रवासी मजदूरों को भोजन, आश्रय देने की मांग वाली याचिका दायर
सुप्रीम कोर्ट में प्रवासी मजदूरों को भोजन, आश्रय देने की मांग वाली याचिका दायर
हाईलाइट
  • सुप्रीम कोर्ट में प्रवासी मजदूरों को भोजन
  • आश्रय देने की मांग वाली याचिका दायर

नई दिल्ली, 28 मार्च (आईएएनएस)। प्रवासी मजदूरों के पलायन का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। शीर्ष न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर कर भारत भर में स्थानीय प्रशासन/ पुलिस अधिकारियों को निर्देश देने की मांग की गई है कि वे फंसे हुए प्रवासी मजदूरों व कामगारों की तुरंत पहचान करें और उन्हें उचित भोजन, पानी, दवाइयों और चिकित्सा निगरानी मुहैया कराए। साथ ही याचिका में लॉकडाउन जारी रहने तक निकटतम सरकारी आश्रय गृहों में इन्हें पनाह देने की मांग की गई है।

मामले के याचिकाकर्ता वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने केंद्र से हजारों प्रवासी मजदूर परिवारों-महिलाओं, छोटे बच्चों, बड़ों और दिव्यांग आदि हजारों लोगों को पैदल यात्रा के दौरान हो रही अमानवीय दुर्दशा को दूर करने का आग्रह किया है।

ये लोग कोरोनोवायरस संकट के बीच भोजन, पानी, परिवहन, चिकित्सा या आश्रय के बिना पैदल ही सैकड़ों किलोमीटर चलकर घर जा रहे हैं। शीर्ष अदालत द्वारा इस मामले को 30 मार्च को देखने की संभावना है।

श्रीवास्तव ने कहा, पूरी दुनिया में घातक कोरोनावायरस या कोविड-19 के कारण जबरदस्त स्वास्थ्य आपात स्थिति देखी जा रही है।

उन्होंने 24 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 21 दिनों के लिए लॉकडाउन लगाने की घोषणा के प्रति समर्थन व्यक्त किया।

याचिका में कहा गया, घातक कोरोनावायरस के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए इस तरह के लॉकडाउन बहुत आवश्यक हैं.. इस संकट की स्थिति के सबसे बड़े भुक्तभोगी गरीब, अपंजीकृत प्रवासी मजदूर हैं, जो भारत के विभिन्न बड़े शहरों में रिक्शा-चालक, कूड़ा उठाने वाले, निर्माण कार्य में लगे, कारखाने में काम करने वाले, अकुशल और अर्ध-कुशल श्रमिक आदि हैं।

याचिका में कहा गया है कि इस संकट के बीच प्रवासी कामगार बेरोजगार और फंसे हुए हैं।

याचिकाकर्ता ने दावा किया कि इन प्रवासी श्रमिकों को, जो घातक कोरोनावायरस से संक्रमित हो सकते हैं, उन्हें गांव की आबादी के साथ घुलने-मिलने की अनुमति देना सुरक्षित नहीं है, क्योंकि यह घातक परिणामों के साथ वायरस के फैलने को बढ़ावा दे सकता है।

याचिकाकर्ता ने 26 मार्च को याचिका पेश की।

Created On :   28 March 2020 4:00 PM IST

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