DIWALI: पटाखों का धुआं न कर दें बीमार, फिट रहने के लिए करें ये योग
डिजिटल डेस्क, मुम्बई। दीवाली का त्योहार दस्तक दे चुका है। बच्चों ने पटाखे फोड़ना शुरु कर दिए हैं। अभी तो पटाखों का शोर कम हैं, लेकिन दीवाली के दिन इन पटाखों का शोर आपके कान के पर्दों को हिलाकर रख देगा। साथ ही दीवाली के बाद से प्रदूषण की समस्या भी शुरु हो जाती है। यह प्रदूषण आपके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है। अगर आप इस प्रदूषण की समस्या से बचना चाहते हैं तो आप कुछ योगासनों को करना शुरु कर दें। इसके आपका स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। आइए जानते हैं उन योगासनों के बारे में, जो प्रदूषण से आपको बचाएंगे और आपको फिट रखेंगे।
कपालभाति प्राणायाम करने से मन शांत, सांस धीमी व शरीर स्थिर हो जाता है। इस प्राणायाम के करने से खून में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाती है जिससे रक्त शुद्ध होने लगता है। कपालभाति प्राणायाम करने के लिए सिद्धासन, पद्मासन या वज्रासन में बैठ जाएं और अपनी हथेलियों को घुटनों पर रखें। अपनी हथेलियों की सहायता से घुटनों को पकड़कर शरीर को एकदम सीधा रखें। अब अपनी पूरी क्षमता का प्रयोग करते हुए सामान्य से कुछ अधिक गहरी सांस लेते हुए अपनी छाती को फुलाएं। इसके बाद झटके से सांस को छोड़ते हुए पेट को अंदर की ओर खिंचे। जैसे ही आप अपने पेट की मांसपेशियों को ढीला छोड़ते हैं, सांस अपने आप ही फेफड़ों में पहुंच जाती है। कपालभाति प्राणायाम को करते हुए इस बात का ध्यान रखें की आपके द्वारा ली गई हवा एक ही झटके में बाहर आ जाए। इस प्राणायाम को करते समय आपको यह सोचना है कि आपके सारे नकारात्मक तत्व शरीर से बाहर जा रहे हैं।
यह प्राणायम खांसी, दमा, साइनस, लंग्स औप हृदय के लिए बहुत लाभदायक है। इस प्राणायाम के नियमित अभ्यास से शरीर में सकारात्मक विचारों का संचार होता है और मन को शांति मिलती है। सूर्यभेदी प्राणायाम करने के लिए आप सुखआसन या पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं। अब अपने बाएं हाथ की अंगुलियों को बाएं पैर पर ज्ञान मुद्रा में रखें। इसके बाद दाएं हाथ की दो अंगुलियों का इस्तेमाल करते हुए नाक के बाएं छिद्र को बंद कर लें। अब नाक के दाएं छिद्र से बिना आवाज किए सांस को अंदर भरें और अंगुलियों से नाक के दाएं छिद्र को भी बंद कर लें। अब अपनी क्षमता के अनुसार सांस को रोकें। इसके बाद नाक के बाएं छिद्र पर रखीं अंगुलियों को हटाते हुए सांस को बाहर छोड़ें। इस तरह से प्राणायाम का एक चक्र पूरा हो जाएगा। कम से कम रोजाना 10 चक्र का अभ्यास करें।
इस प्राणायाम के करने से फेफड़ा स्वस्थ होता है। यह प्राणायाम शरीर को स्वस्थ, कांतिमय और शक्तिशाली बनाता है। अनुलोम-विलोम प्राणायाम को करने के लिए नाक के दाएं छिद्र से सांस खींचते हुए बायीं नाक के छिद्र से सांस बाहर निकालते है। इसी तरह अगर नाक के बाएं छिद्र से सांस खींचते है, तो नाक के दाहिने छिद्र से सांस को बाहर निकालते है। यह प्राणायाम शरीर के सभी नाड़ियों का शोधन करती है।
Created On :   26 Oct 2019 6:27 AM GMT