व्यस्कों की तुलना में बच्चों को मास्क युक्त चेहरों की पहचान करने में कठिनाई
- व्यस्कों की तुलना में बच्चों को मास्क युक्त चेहरों की पहचान करने में कठिनाई: शोध
डिजिटल डेस्क, टोरंटो। केविड महामारी के कारण मास्क से ढके चेहरों की पहचान करना बच्चों के लिए कठिन है और इसी वजह से वे अपने सहयोगियों तथा शिक्षकों के साथ काफी हद तक सामाजिक रूप से अधिक घुल मिल नहीं पाते हैं। व्यस्कों को इस तरह की दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ता है। एक शोध में यह जानकारी दी गई है।
शोध से पता चलता है कि जब लोगों को मास्क पहनाया जाता है तो यह चेहरों को पहचानने की बच्चों की क्षमताओं को न केवल गहराई से प्रभावित करता है, बल्कि वयस्कों की तुलना में उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। वयस्कों के लिए चेहरों को पहचानने की दर में कमी 15 प्रतिशत देखी गई जबकि बच्चों में यह कमी लगभग 20 प्रतिशत है।
यॉर्क विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर एरेज फ्रायड ने कहा, चेहरे सबसे महत्वपूर्ण ²श्य संवेदनाओं में से हैं। हम किसी व्यक्ति के बारे में विभिन्न विशेषताओं को निर्धारित करने के लिए चेहरे की जानकारी का उपयोग करते हैं, जिसमें उनके लिंग, उम्र, मनोदशा और इरादे शामिल हैं। हम इस जानकारी का उपयोग सामाजिक बातचीत के माध्यम से जानने करने के लिए करते हैं।
यॉर्क विश्वविद्यालय और इजराइल में बेन-गुरियन के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन में छह से 14 साल की उम्र के 72 बच्चों का अध्ययन यह देखने के लिए गया कि उनका अनुभव वयस्कों के समान था या नहीं। इस दौरान उनके सामने मास्क लगे और बिना मास्क वाले चेहरे सीधे और उल्टे तरीके से प्रदर्शित किए गए थे।
अध्ययन से यह भी पता चला है कि जब बच्चों को किसी व्यक्ति के चेहरे का बिना मास्क के दिखाया गया तो उनका अनुभव अलग था और जब उन्हें वही चेहरा मास्क युक्त दिखाया गया तो उन्हें इससे पहचानने में काफी दिक्कतें आई।
यह शोध कॉग्निटिव रिसचर्: प्रिंसिपल्स एंड इंप्लिकेशंस जर्नल में प्रकाशित हुआ है और इस टीम ने कैम्ब्रिज फेस मेमोरी टेस्ट का इस्तेमाल किया जो मनुष्यों में चेहरे की पहचान क्षमताओं का स्कूल-आयु वर्ग की क्षमता का परीक्षण करने का सबसे मान्य तरीका है ।
फ्रायड ने कहा, यदि बच्चें चेहरों को सही तरीके से नहीं पहचान पाते हैे तो उनके साथियों और शिक्षकों के साथ सामाजिक संपर्क की क्षमता को कम कर सकती है, और इससे समस्याएं हो सकती हैं। सामाजिक संबंधों में चेहरों के महत्व को देखते हुए, हमें इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
फ्रायड ने कहा कि बच्चों के स्कूलों में एक बार फिर मास्क अनिवार्यता के साथ, मास्क पहनने से बच्चों के शैक्षिक प्रदर्शन पर सामाजिक और मनोवैज्ञानिक प्रभावों का पता लगाना चाहिए।
आईएएनएस
Created On :   8 Feb 2022 4:01 PM IST