दिल्ली विश्वविद्यालय: छात्र-शिक्षक अनुपात का विवाद पहुंचा एकेडमिक काउंसिल के पास

Delhi University: Student-teacher ratio dispute reached to Academic Council
दिल्ली विश्वविद्यालय: छात्र-शिक्षक अनुपात का विवाद पहुंचा एकेडमिक काउंसिल के पास
नई दिल्ली दिल्ली विश्वविद्यालय: छात्र-शिक्षक अनुपात का विवाद पहुंचा एकेडमिक काउंसिल के पास

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मंगलवार 22 नवम्बर को दिल्ली विश्वविद्यालय की एकेडमिक काउंसिल की मीटिंग काफी हंगामेदार होने की संभावना है। इस मीटिंग में छात्र -शिक्षक अनुपात को लेकर व एडहॉक पदों को गेस्ट टीचर्स में तब्दील किए जाने पर भी बहस की संभावना है। शिक्षकों का आरोप है कि नई शिक्षा नीति के अंतर्गत शिक्षक -छात्र अनुपात को दुरूस्त करने के नाम पर जहाँ शिक्षकों की संख्या बढ़ाकर शिक्षक -छात्र अनुपात ठीक किया जाना था वहीं ऐसा न करके कक्षाओं में , लैब में एवं ट्यूटोरियल में बड़े - बड़े समूह ( ग्रुप ) बना दिए गए हैं।

फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस के चेयरमैन डॉ हंसराज सुमन ने बताया है कि स्थायी व एडहॉक पदों पर होने वाली शिक्षकों की नियुक्तियों को कॉलेज प्रिंसिपलों द्वारा इन पदों को गेस्ट टीचर्स में तब्दील कर नियुक्ति कर रहे है जबकि विश्वविद्यालय प्रशासन ने ओबीसी कोटे के सेकेंड ट्रांच के स्वीकृत पदों को एडहॉक से गेस्ट टीचर्स में तब्दील करने संबंधी कोई सकरुलर जारी नहीं किया है। इन पदों में सबसे ज्यादा पद एससी, एसटी , ओबीसी , पीडब्ल्यूडी व ईडब्ल्यूएस कोटे के हैं।

एकेडमिक काउंसिल के सदस्यों का कहना है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में ईडब्ल्यूएस के कारण छात्रों की 25 फीसदी सीटें बढ़ी है और कॉलेजों ने उन पर एडमिशन भी किया है लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने अभी तक 10 फीसदी अतिरिक्त शिक्षकों के पदों पर नियुक्ति करने व उनका रोस्टर पास कर विज्ञापन निकालने के लिए सकरुलर जारी नहीं किया। उन्होंने बताया है कि विश्वविद्यालय ने कॉलेजों से ईडब्ल्यूएस कोटे की सीटों के बढ़ने के आंकड़े तो मंगवा लिए लेकिन आज तक सीटें नहीं दी। इस मुद्दे पर भी मीटिंग में हंगामा हो सकता है।

डॉ.सुमन ने बताया है कि विभिन्न कॉलेजों ने अपने यहां एडहॉक के स्थान पर गेस्ट टीचर्स रखने के विज्ञापन निकाले जबकि उन कॉलेजों में एडहॉक पदों पर नियुक्ति की जा सकती है। डीयू कॉलेजों में गेस्ट टीचर्स लगाना आसान है क्योंकि कॉलेज इन पदों को भरने में आरक्षण रोस्टर को लागू तो करते है लेकिन एक एडहॉक पद को दो पदों में तब्दील कर देते है जो कि एक आरक्षित व दूसरा किसी अन्य श्रेणी के लिए बना देते है।

डॉ. सुमन का कहना है कि विश्वविद्यालय नीति के अनुसार, नए पदों को अस्थायी एडहॉक व्यवस्था के माध्यम से भरा जा सकता है जब तक कि पदों को स्थायी आधार पर लंबे समय से नहीं भर रहे हैं। उनका कहना है कि यदि एडहॉक पदों को गेस्ट टीचर्स में तब्दील करना है या इस व्यवस्था में किसी तरह का बदलाव करना था या नीति को बदलना है तो विश्वविद्यालय की एकेडमिक काउंसिल में इस मुद्दे को लाना चाहिए था लेकिन बिना एसी व ईसी में पास किए लागू कर दिया गया।

आईएएनएस

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Created On :   21 Nov 2022 7:00 PM IST

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