सिक्खों के छ्ठें गुरु हरगोबिंद सिंह की जयंती, जानें उनके बारे में

Today Birth anniversary of Guru Hargobind Singh, Know about them
सिक्खों के छ्ठें गुरु हरगोबिंद सिंह की जयंती, जानें उनके बारे में
सिक्खों के छ्ठें गुरु हरगोबिंद सिंह की जयंती, जानें उनके बारे में

डिजिटल डेस्क। गुरु हरगोबिंद सिंह जी सिक्खों के छ्ठे गुरु थे। सिक्ख धर्म के पंचांग के अनुसार गुरु हरगोबिंद सिंह की जयंती 18 जून को मनाई गई। उनके जन्मोत्सव को ‘गुरु हरगोबिंद सिंह जयंती’ के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर गुरुद्वारों में भव्य कार्यक्रम आयोजित करने के साथ ही गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ किया जाता है। गुरुद्वारों में लंगर का आयोजन भी किया जाता है। उनकी जयंती के अवसर पर आइए जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ खास बातें...

गुरु हरगोबिंद सिंह ने सिक्ख समुदाय को सेना के रूप में संगठित किया था। हरगोबिंद सिंह महज 11 साल की उम्र में ही 1606 ई. में अपने पिता से गुरु की उपाधि प्राप्त कर ली थी। उन्‍होंने 37 साल, 9 महीने, 3 दिन तक यह जिम्मेदारी संभाली थी।  

संगठित होने के लिए प्रेरित
गुरु हरगोबिंद सिंह ने ही सिख समुदाय को सेना के रूप में संगठित होने के लिए प्रेरित किया था। सिखों के गुरु के रूप में उनका कार्यकाल सबसे अधिक था। मुगल बादशाह जहांगीर ने उनके व्यक्तित्व से प्रभावित होकर उन्हें व 52 राजाओं को अपनी कैद से मुक्ति दी थी। इनका जन्म 18 जून 1595 को हुआ था और इनकी मृत्यु 1644 ई. में हुई थी। 

शक्तिशाली योद्धा
गुरु हरगोबिंद सिंह एक शक्तिशाली योद्धा थे और उन्होंने दूसरे सिखों को भी लड़ने का प्रशिक्षण दिया। गुरु हरगोबिंद सिंह ने इस बात को अपना मूल सिद्धांत बनाया कि एक सिख योद्धा केवल बचाव के लिए तलवार उठाएगा न कि हमले के लिए। गुरु जी ने ही अकाल तख्त साहिब का निर्माण करवाया था। अकाल तख्त साहिब समाज में सिक्ख शक्ति के लिए एक बड़ी संस्था के रूप में उभरा। साथ ही इसे सामाजिक और ऐतिहासिक पहचान दिलाई। इन सभी कामों के पीछे हरगोबिंद सिंह की ही सोच थी। 

मानव अधिकारों के लिए लड़ाई
कहा जाता है कि गुरु हरगोबिंद सिंह ने अपने जीवन में मानव अधिकारों के लिए लड़ाइयां भी लड़ी। 1667 ई. में हुई जहांगीर की मृत्‍यु के बाद मुगलों के नए बादशाह शाहजहां ने सिक्खों पर अत्याचार करना शुरू किया था। जिसके बाद सिक्ख धर्म की रक्षा के लिए हरगोबिंद सिंह आगे आए और उन्होंने सिक्खों को यह सीख दी कि यदि उन्हें यह अधिकार है कि वे अपनी और धर्म की रक्षा के लिए तलवार उठा सकते हैं। सिक्खों द्वारा बगावत किए जाने के कारण जहांगीर ने उन्हें कैद में डलवा दिया।

दाता बंदी छोड़ नाम से बुलाया
गुरु हरगोबिंद सिंह के कहने पर 52 राजाओं को भी जहांगीर की कैद से रिहाई मिली थी। जहांगीर एक साथ 52 राजाओं को रिहा नहीं करना चाहता था। इसलिए उसने एक कूटनीति बनाई और हुक्म दिया कि जितने राजा गुरु हरगोबिंद साहब का दामन थाम कर बाहर आ सकेंगे, वो रिहा कर दिए जाएंगे। इसके लिए एक युक्ति निकाली गई कि जेल से रिहा होने पर नया कपड़ा पहनने के नाम पर 52 कलियों का अंगरखा सिलवाया जाए। गुरु जी ने उस अंगरखे को पहना, और हर कली के छोर को 52 राजाओं ने थाम लिया और इस तरह सब राजा रिहा हो गए। हरगोबिंद जी की सूझ-बूझ की वजह से उन्हें ‘दाता बंदी छोड़’ के नाम से बुलाया गया।
 

Created On :   18 Jun 2019 12:48 PM IST

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