इस दिन खाते हैं बासी भोजन, जानें भोग लगाने का तरीका और पूजा विधि
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चैत्र माह में पड़ने वाली अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी तिथि के नाम से जाना जाता है। हिंदू पंचाग के अनुसार, होली के आठवें दिन शीतला अष्टमी या बसौड़ा मनाया जाता है। इस बार यह तिथि 25 मार्च शुक्रवार यानी कि आज है। यह पर्व शीतला माता को समर्पित है। शीतला माता चेचक, हैजा जैसे रोगों से रक्षा करती हैं। इस दिन मां शीतला माता की विधि-विधान से पूजा की जाती है। इस दिन मां शीतला माता के लिए व्रत रखा जाता है। इस दिन घर में ताज़ा खाना बनाना वर्जित माना जाता है।
शीतला माता की महिमा का उल्लेख पुराणों में भी मिलता है। स्कंद पुराण के अनुसार ब्रह्माजी ने सृष्टि को रोगमुक्त रखने का कार्यभार देवी शीतला को सौंपा था इसलिए प्राचीन काल से ही चैत्र कृष्ण अष्टमी को महाशक्ति के अनंतरूपों में से प्रमुख शीतला माता की पूजा-अर्चना की जाती रही है,जो स्वच्छता की अधिष्ठात्री देवी भी हैं। आइए जानते हैं शीतलाष्टमी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में...
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स्वरूप
शीतला माता के हाथ में झाडू और कलश होता है। माता के हाथ में झाडू होने का अर्थ लोगों को सफाई के प्रति जागरुक करने से होता है। कलश में सभी देवी-देवताओं का वास रहता है। इनका वाहन गर्दभ यानि गधा है।
शीतला अष्टमी शुभ मुहूर्त
अष्टमी तिथि प्रारंभ: 25 मार्च दोपहर 12 बजकर 09 मिनट से शुरू
अष्टमी तिथि समाप्त: 25 मार्च 2022 तो रात 10 बजकर 04 मिनट तक
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शीतलाष्टमी पूजा विधि
शीतला अष्टमी के दिन को पूजा के दौरान खास प्रकार के मीठे चावलों का भोग चढ़ाया जाता है। ये चावल गुड़ या गन्ने के रस से बनाए जाते हैं। इन्हें सप्तमी की रात को बनाया जाता है। शीतला माता की पूजा में चांदी के पत्र (चौकोर टुकड़ा) पर शीतला माता का चित्र उकेरा हुआ हो, अर्पित करना चाहिए। इस दिन घर की रसोई में हाथ की पांचों अंगुलियों से घी दीवार पर लगाया जाता है। उसके बाद उस पर रोली और चावल लगाकर शीतला माता की आरती गाई जाती है। इसके अलावा घर के पास के चौराहे पर भी जल अर्पित किया जाता है जो स्वच्छता का प्रतीक होता है।
Created On :   25 March 2022 12:33 PM IST