नाग पंचमी 2020: करीब 300 साल बाद भगवान नागंचद्रेश्वर मंदिर में नहीं मिलेगा प्रवेश, जानें मंदिर की खास बात
डिजिटल डेस्क, उज्जैन। श्रावण मास की शुक्ल पक्ष पंचमी यानी कि चंद्र माह के पांचवें दिन नागपंचमी का त्यौहार मनाया जाता है। यह त्यौहार पूरे भारत में मनाया जाता है, वहीं महाकाल की नगरी उज्जैन के नागंचद्रेश्वर मंदिर में इस दिन खास पूजा होती है। यह मंदिर में एक साल में सिर्फ एक दिन के लिए खुलता है और लाखों श्रद्धालू यहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं। लेकिन इस साल कोरोनावायरस लॉकडाउन के चलते यहां भक्तों को प्रवेश नहीं दिया जाएगा। हालांकि परिसर में लगी एलईडी, महाकाल एप और कुछ चैनलों पर लाइव दर्शन कराए जाएंगे।
यहां बता दें कि करीब 300 साल के इतिहास में यह पहला मौका होगा जब भक्तों को मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। मंदिर प्रशासन ने यह निर्णय कोरोना संक्रमण के चलते लिया है। आइए जानते हैं इस मंदिर की खास बातें...
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होगा प्रसारण
इस बार भी 24 जुलाई की मध्यरात्रि रात 12 बजे मंदिर के पट खुलेंगे। इसके बाद महानिर्वाणी अखाड़े के महंत विनीतगिरिजी महाराज के सान्निाध्य में जिले के आला अधिकारी भगवान नागचंद्रेश्वर की पूजा करेंगे। इस दौरान देश-विदेश के लाखों भक्त सीधे प्रसारण के माध्यम से भगवान के दर्शन कर सकेंगे।
मंदिर की खासियत
आपको बता दें कि मंदिर की विशेषता यह है कि इसके कपाट सिर्फ नाग पंचमी के दिन यानी श्रावण शुक्ल पंचमी को खुलते हैं। यह मंदिर महाकालेश्वर मंदिर के प्रांगण में ही स्थित है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, नाग पंचमी के दिन जब इस मंदिर के कपाट पूजा के लिए खोले जाते हैं तो नागराज तक्षक स्वयं मंदिर में उपस्थित रहते हैं। नागचंद्रेश्वर मंदिर में भगवान शिव और माता पार्वती की दुर्लभ प्रतिमा स्थापित है। फन फैलाए नाग के आसन पर भगवान शिव और माता पार्वती विराजमान हैं।
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कहा जाता है कि नागचंद्रेश्वर मंदिर के अलावा दुनिया में कहीं भी भगवान शिव और माता पार्वती की ऐसी प्रतिमा देखने को नहीं मिलती है। एक अद्भुत बात ये हैं कि नाग शय्या पर हमेशा भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को देखा जाता है, लेकिन इस मंदिर में दशमुखी नाग शय्या पर भगवान शिव और माता पार्वती अपने पुत्र गणेश जी के साथ विराजमान हैं। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि नाग पंचमी के दिन मंदिर में पूजा करने से सर्पदोष से मुक्ति मिल जाती है।
Created On :   24 July 2020 4:24 PM IST