व्रत: अधिकमास की ये अमावस्या है खास, ये काम करने से कार्य होंगे संपन्न
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रत्येक मास में स्नान दान अमावस्या आती है, लेकिन अधिकमास अमावस्या का महत्व कुछ अलग है। यह अमावस्या 16 अक्टूबर यानी कि आज शुक्रवार को है। इस दिन पुरूषोत्तम मास समाप्त हो जाएगा और फिर अगले दिन आश्विन शुक्ल की प्रतिपदा से शारदीय नवरात्रि शुरू हो जाएगी। बता दें कि अधिकमास 18 सितंबर से शुरू हुआ था। अधिक मास का महीना 3 साल में एक बार आता है। जिसके कारण यह अमावस्या बहुत ही खास है।
अधिकमास की अमावस्या को कई परेशानियों और दुखों के निवारण के लिए जाना जाता है। मान्यता है कि अधिकमास की आखिरी अमावस्या को दान करने से जीवन में कभी धन की कमी नहीं रहती है। अमावस्या पर भूखे को भोजन कराने से कभी शारीरिक परेशानियां नहीं होती हैं। आइए जानते हैं इसके बारे में...
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कार्य होंगे संपन्न
इस दिन प्रातःकाल स्नान संकल्पपूर्वक व्रत करना चाहिए तथा विष्णुकांता के नीले पुष्प चढ़ाकर भगवती की प्रसन्नता के लिए घी, दूध तथा सुहाग की सामग्री एवं शहद और लाल वस्त्र का दान करना चाहिए। इस दिन जातक को यथा शक्ति दान करना चाहिए एवं योग्य दुखी पात्र की अपने हाथों से सेवा करनी चाहिए। ऐसा करने से सभी मनोरथ संपन्न होते हैं।
करें ये काम
- प्रातः काल किसी नदी या सरोवर पर स्नान करें।
- इसके बाद भगवान शंकर, पार्वती और तुलसी की ग्यारह परिक्रमा करें।
- याद रखें प्रत्येक परिक्रमा में कोई वस्तु चढ़ाएं।
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- इसके पश्चात वे सभी वस्तुएं किसी योग्य पात्र को दान करें।
- दिनभर भगवान शंकर के मंत्रों का मानसिक जाप करें।
- शाम के समय सरसों के तेल का दीपक पीपल के वृक्ष पर जलाकर व्रत संपन्न करें।
Created On :   15 Oct 2020 3:49 PM IST