सावन माह मंगला गौरी व्रत: जानें मां को सोलह श्रृंगार चढ़ाने का महत्व और पूजन विधि
डिजिटल डेस्क, भोपाल। सावन माह का दूसरा मंगला गौरी व्रत आज यानी 11 जुलाई को है। सावन के पवित्र माह में भगवान भोलेनाथ के साथ मां पार्वती की भी आराधना की जाती है। जिस तरह सावन में पड़ने वाले सोमवार का महत्व है, उसी तरह सावन में वाले मंगलवार का भी विशेष महत्व होता है। यह व्रत मंगलवार को रखे जाने के कारण मंगला गौरी व्रत कहलाता है।
गौरी पूजा हिंदु महिलाओं में विशेष महत्व रखती है। मां मंगला गौरी आदि शक्ति माता पार्वती का ही रूप है, इन्हें मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार यह व्रत अविवाहितों के अलावा सुहागिन महिलाओं के लिए भी सौभाग्यशाली माना जाता है। इस दिन महिलाएं व्रत रखकर मां गौरी की विधि- विधान से पूजा करती हैं।
मंगला गौरी व्रत का महत्व
मान्यता के अनुसार मंगला गौरी व्रत रखने से और पूजा- पाठ करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। वहीं सुहागिन महिलाएं इस व्रत को अपने पति की लंबी आयु और अखंड सौभाग्य के लिए रखती हैं। इसके अलावा वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाए रखने के लिए रखती है, साथ ही मंगला गौरी व्रत रखने से संतान सुख की प्राप्ति होती है।
सोलह श्रृंगार का महत्व
सोलह श्रृंगार का सीधा संबंध परिवार की सुख समृद्धि से है। मंगला गौरी व्रत के दौरान मां का महिलाएं श्रृंगार करती हैं। इसके बाद मां को चढ़ाए गए श्रृंगार को स्वयं धारण भी करती हैं। ऐसे श्रृंगार को महिलाएं मां के आशीर्वाद के रूप में ग्रहण करती हैं। लाल चुनरी, चूड़ी, बिछिया, सिंदूर, महावर, बिंदी, मेहंदी, काजल, मंगल सूत्र या गले के लिए माला, पायल, कान की बाली आदि को मां को चढ़ाया जाता है।
पूजा का शुभ मुहूर्त
अभिजीत मुहूर्त- 11 जुलाई, दोपहर 11-59 से 12-54 तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 -45 से 03-40 तक-
पूजा विधि
- इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठें और नित्यक्रमादि से निवृत होकर स्नान करें।
- साफ वस्त्र धारण करें और भगवान सूर्य को जल चढ़ाने के बाद व्रत का संकल्प लें।
- घर में पूजा के स्थान को साफ करें और मंदिर में दीपक जलाएं।
- एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर इस पर मां की प्रतिमा स्थापित करें।
- मां का गंगाजल से अभिषेक करें, और मां का ध्यान करते हुए पूजा प्रारंभ करें
- मां को फूल, चंदन, कुमकुम, फल, भांग, अक्षत, दही और दूध को अर्पित करें।
- साथ ही मां को सोलह श्रृंगार अर्पित करें, पूजा के समय व्रत कथा पढ़ना बिल्कुल भी न भूलें।
- अब मां की आरती करें और पश्चात् भोग सामग्री अर्पित करें।
Created On :   11 July 2023 11:58 AM IST