Mahashivratri 2025: 149 साल बाद महाशिवरात्रि पर बन रहा है ये महायोग, जानिए पूजा का मुहूर्त और विधि

149 साल बाद महाशिवरात्रि पर बन रहा है ये महायोग, जानिए पूजा का मुहूर्त और विधि
व्रत से जीवन में सुख और समृद्धि आती है, इस दिन भक्त महादेव की आराधना करते हैं, महाशिवरात्रि 26 फरवरी 2025, बुधवार को है,

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हर वर्ष फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि (Mahashivratri) का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इसका इंतजार शिव भक्तों को सालभर रहता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव जी और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इस दिन व्रत रखने और पूरी विधि विधान से पूजा अर्चना करने से जीवन में सुख और समृद्धि आती है। इन दिनों भक्त शिवालयों में जाते हैं और महादेव की आराधना करते हैं।

महाशिवरात्रि के दिन सुबह से ही मंदिर और शिवालयों में बम-बम भोले के जयकारे गूंजने लगते हैं। महाशिवरात्रि की महिमा का वर्णन शास्त्रों में मिलता है और कहा जाता है कि, भोलेनाथ की कृपा प्राप्त करने का यह सबसे बड़ा पर्व है। इस वर्ष महाशिवरात्रि 26 फरवरी 2025, बुधवार को मनाई जा रही है। आइए जानते हैं पूजा की विध और मुहूर्त...

महाशिवरात्रि की तिथि

चतुर्दशी तिथि आरंभ: 26 फरवरी 2025, बुधवार की सुबह 11 बजकर 8 मिनट से

चतुर्दशी तिथि समापन: 27 फरवरी 2025, गुरुवार की सुबह 08 बजकर 54 मिनट पर

जल चढ़ाने का मुहूर्त और महायोग

ज्योतिषाचार्य के अनुसार, इस साल महाशिवरात्रि पर 149 साल बाद एक दुर्लभ संयोग बन रहा है। इस खास दिन सूर्य, बुध और शनि मिलकर कुंभ राशि में त्रिग्रही योग बना रहे हैं। इस योग के कारण इशिवरात्रि बेहद फलदायक मानी जा रही है।

बात करें भद्रा की तो इस बार महाशिवरात्रि पर भद्रा का साया है, लेकिन पाताल की भद्रा होने के कारण इसका कोई प्रभाव पृथ्वी पर नहीं पड़ेगा। ऐसे में आप पूरे दिन जलाभिषेक कर सकते हैं।

पूजा विधि

- महाशिवरात्रि के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें।

- इसके बाद भगवान सूर्य को जल चढ़ाने के साथ ही व्रत का संकल्प लें।

- इसके बाद मस्तक पर भस्म का तिलक और गले में रुद्राक्ष माला धारण करें।

- घर के मंदिर या शिवालय में जाकर भगवान शिव को पंचामृत से स्नान कराएं।

- पूरी रात्रि का दीपक जलाएं, चंदन का तिलक लगाएं।

- भगवान शिव को बेलपत्र, भांग, धतूरा, गन्ने का रस, तुलसी, जायफल, कमल गट्टे, फल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र व दक्षिणा चढ़ाएं।

- विधि विधान से शिवलिंग की पूजन करें और शिव- पार्वती की आरती करें।

- इसके बाद केसर युक्त खीर का भोग लगाकर प्रसाद बांटें।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

Created On :   25 Feb 2025 6:19 PM IST

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