Maha Kumbh 2025: शाही स्नान हो गया है अमृत स्नान, जानिए इस स्नान के नियम और महत्व

शाही स्नान हो गया है अमृत स्नान, जानिए इस स्नान के नियम और महत्व
  • महाकुंभ में सबसे बड़ा महत्व शाही स्नान का है
  • सबसे पहले साधु- संत आस्था की डुबकी लगाते हैं
  • स्नान से शरीर बल्कि आत्मा भी शुद्ध हो जाती है

डिजिटल डेस्क, भोपाल। पूरे 12 वर्षों के इंतजार के बाद महाकुंभ (Mahakumbh) का आयोजन इस साल संगम नगरी प्रयागराज में होने जा रहा है। महाकुंभ में शाही स्नान का बड़ा महत्व बताया गया है, ऐसा कहा जाता है कि इस स्नान से ना सिर्फ शरीर बल्कि आत्मा भी शुद्ध हो जाती है। इस स्नान का पुण्य लाभ लेने के लिए करोड़ों श्रद्धालु पहुंचते हैं। लेकिन, संगम नगरी में आयोजित होने वाले महाकुंभ 2025 में शाही स्नान नहीं होगा।

दरअसल, महाकुंभ में शाही स्नान का नाम बदलकर अब अमृत स्नान कर दिया गया है। इसकी घोषणा हाल ही में उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने की है। ऐसे में यदि आप अमृत स्नान के लिए महाकुंभ में जाने वाले हैं तो आपको इसके नियम पता होना चाहिए। आइए जानते हैं इनके बारे में...

क्या है शाही स्नान?

महाकुंभ को हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन माना जाता है। वहीं जब यह महामेला प्रयागराज में आयोजित होता है तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। क्योंकि, यहां गंगा, यमुना और सरस्वती तीनों नदियों का मिलन होता है, जिसे त्रिवेणी संगम कहा जाता है। इस पवित्र संगम में स्नान करने का विशेष महत्व माना गया है। चूंकि, यहां साधु संतों को सम्मान पूर्वक स्नान कराया जाता है और स्नान के दौरान साधुओं का ठाठ-बाट राजाओं जैसा होने के कारण इसे शाही स्नान कहा जाता है।

शास्त्रों में नहीं है शाही स्नान का जिक्र

यहां बता दें कि, शास्त्रों और पुराणों में शाही स्नान को लेकर कोई जिक्र नहीं है। हालांकि, शाही स्नान की परंपरा सदियों से चली आ रही है। ऐसा माना जाता है कि, शाही स्नान की शुरुआत 14वीं से 16वीं सदी के बीच हुई थी। जब साधु और शासकों के बीच संघर्ष बढ़ा तो एक बैठक में निर्णय लिया गया कि दोनों ही एक-दूसरे के धर्म का सम्मान करेंगे। कहा जाता है कि, कुंभ के दौरान साधुओं को सम्मान देने के लिए हाथी, घोड़ों पर बैठकर उनकी पेशवाई निकाली गई थी और स्नान के दौरान साधुओं का ठाठ-बाट राजाओं जैसा होता था। यही कारण था कि महाकुंभ में इस स्नान को शाही स्नान कहा गया।

क्या हैं शाही या अमृत स्नान के नियम

शाही स्नान जिसे अब से अमृत स्नान के नाम से जाना जाएगा के लिए कई नियम हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह स्नान सबसे पहले साधु संतों के लिए है। इसके बाद ही आम श्रद्धालु यह स्नान कर सकते हैं। इस स्नान में किसी भी प्रकार के साबुन या शैंपू का इस्तेमाल करने की मना ही होती है। महाकुंभ में शाही या अमृत स्नान के बाद गरीबों को दान करने का महत्व बताया गया है। आप अपनी जरुरत के अनुसार दान जरूर करें।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

Created On :   2 Jan 2025 8:28 PM IST

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