Kalashtami 2025: चैत्र माह की कालाष्टमी पर इस विधि से करें पूजा, जानिए शुभ मुहूर्त

- इस बार कालाष्टमी 22 मार्च को मनाई जा रही है
- काल भैरव भगवान तंत्र-मंत्र के देवतामाने जाते हैं
- पूजा करने से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है
डिजिटल डेस्क, भोपाल। हर माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी (Kalashtami) मनाई जाती है। यह दिन भगवान काल भैरव के लिए बहुत ही खास माना जाता है। इस दिन भगवान शिव के एक रूप काल भैरव की पूजा करने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि काल भैरव की उत्पत्ति भगवान शिव के क्रोध से हुई थी। इसलिए इस तिथि को कालभैरव अष्टमी नाम से जाना जाता है। इस बार कालाष्टमी 22 मार्च को मनाई जा रही है।
कहा जाता है कि, काल भैरव भगवान तंत्र-मंत्र के देवता हैं। ऐसे में इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से घर में फैली हुई सभी तरह की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती हैं। यही नहीं, व्यक्ति को सुख-शांति और आरोग्य की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं कालाष्टमी व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि....
शुभ मुहूर्त
तिथि आरंभ: 22 मार्च 2025, शनिवार की सुबह 4 बजकर 23 मिनट से
तिथि समाप्त: 23 मार्च 2025, रविवार की सुबह 5 बजकर 23 मिनट तक
इस विधि से करें पूजा
- इस दिन शिव या भैरव मंदिर में जाकर पूजा करना चाहिए।
- यदि घर में पूजन कर रहे हैं तो भगवान काल भैरव की मूर्ति या चित्र को पूजा स्थल पर स्थापित करें।
- उन्हें फूल, फल, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें
- काल भैरव की पूजा में दीपक, काले तिल, उड़द और सरसों के तेल को शामिल करें।
- काला कुत्ता भगवान काल भैरव का वाहन माना जाता है, इसलिए कालाष्टमी के दिन काले कुत्ते को भोजन को मीठा भोजन कराना चाहिए।
- काल भैरव मंत्रों का जाप करें और काल भैरव चालीसा का पाठ करें।
- शाम के समय शिव और पार्वती और भैरव जी की पूजा करें और रात में भजन कीर्तन।
- मंदिर में गरीबों और जरूरतमंदों को दान करें।
डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग- अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।
Created On :   21 March 2025 5:37 PM IST