Chandra Grahan 2024: कल सुबह लगने वाला है साल का दूसरा चंद्र ग्रहण, जानें कहां देगा दिखाई

कल सुबह लगने वाला है साल का दूसरा चंद्र ग्रहण, जानें कहां देगा दिखाई
  • साल का दूसरा चंद्र ग्रहण 18 सितंबर को लगेगा
  • ग्रहण मीन राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में लगेगा
  • उपछाया चंद्र ग्रहण 05 घंटे 04 मिनट का होगा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan) को महत्वपूर्ण माना जाता है। वहीं ज्योतिष गणना के अनुसार, साल का दूसरा चंद्र ग्रहण भाद्रपद पूर्णिमा को यानि कि 18 सितंबर, बुधवार को लगने जा रहा है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार, यह ग्रहण मीन राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में लगेगा। हालांकि, यह एक उपछाया चंद्र ग्रहण होगा और जब ग्रहण लगेगा तो उस समय भारत में सुबह का समय रहेगा। ऐसे में इसे भारत में नहीं देखा जा सकेगा। कहां दिखाई देगा यह ग्रहण और रहेगा समय? आइए जानते हैं...

कब होगा चंद्र ग्रहण?

साल का दूसरा चंद्रग्रहण दुनियाभर में 17-18 सितम्बर की रात से दिखाई देगा। वहीं बात करें भारत की तो यहां ग्रहण की शुरुआत 18 सितंबर की सुबह 6 बजकर 12 मिनट से होगी और इसका समापन 10 बजकर 17 मिनट पर होगा। जबकि, ग्रहण के उपछाया चरण की शुरुआत सुबह 6:11 बजे से होगी। देखा जाए तो इस ग्रहण की कुल अवधि 05 घंटे 04 मिनट की होगी।

कहां देगा दिखाई?

इस चंद्रग्रहण को भारत में नहीं देखा जा सकेगा। हालांकि, आंशिक चंद्रग्रहण को उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका के साथ ही अफ्रीका के कुछ हिस्से, पश्चिमी एशिया और रूस में देखा जा सकेगा। इसके अलावा इस खगोलीय घटना को अंटार्कटिका में भी देखा जा सकेगा।

क्या भारत में लगेगा सूतक?

आपको बता दें कि धार्मिक मान्यतानुसार, चंद्र ग्रहण का सूतक ग्रहण लगने से 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है। इस दौरान मंदिरों के पाट बंद हो जाते हैं। हालांकि इस ग्रहण का सूतक काल नहीं माना जाएगा। ज्योतिषियों के अनुसार इस ग्रहण का भारत में प्रभाव नहीं है इसलिए इस ग्रहण के दौरान सूतक काल नहीं माना जाएगा।

चंद्र ग्रहण और उपच्छाया चंद्र ग्रहण में अंतर

जब सूरज और चंद्रमा के बीच पृथ्वी घूमते हुए आती है तो चन्द्रग्रहण होता है। लेकिन जब यह तीनों एक सीधी लाइन में नहीं होते तो उपछाया कहलाती है। इस स्थिति में चांद की छोटी सी सतह पर अंब्र नहीं पड़ती है। पृथ्वी के बीच से पड़ने वाली छाया को अंब्र कहा जाता है। चांद के शेष हिस्से में पृथ्वी के बाहरी हिस्से की छाया पड़ती है। जिसे उपछाया कहा जाता है।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

Created On :   17 Sept 2024 10:15 PM IST

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