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यूरोप में बिकेगी झामटा गांव की जैविक मिर्ची, अन्य सब्जियों को मिलेगा बाजार
डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। जिले में जैविक खेती कर रहे किसानों के लिए यह अच्छी खबर है कि यदि वे प्रमाणिक तौर पर शत प्रतिशत जैविक सब्जी या अनाज का उत्पादन करेंगे तो उनकी सब्जी या अनाज विदेशों में निर्यात हो सकेगा। इसके लिए सिक्किम स्टेट कोऑपरेटिव सप्लाई एंड मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड (सिम्फेड) और ग्रीन वैली फार्म ने बिछुआ के झामटा गांव में पहल की है। सोमवार को सिम्फेड के परियोजना और ग्रीन व्हेली फार्म के प्रतिनिधियों ने झामटा में किसानों के साथ चर्चा की।
सिक्किम की संस्था ने दिया सहयोग
तीन साल से जैविक खेती कर रहे किसानों को बाजार की कमी के कारण अपनी सब्जी और अनाज का सही दाम नहीं मिलने के कारण वे फिर से रसायनिक खेती की ओर लौट रहे थे। इस बीच जैविक स्टेट घोषित सिक्किम की संस्था सिंफेड ने जिले के किसानों को सहयोग देने कदम उठाया। संस्था के परियोजना अधिकारी स्वामीशरण कुशवाहा ने जैविक सब्जी का उत्पादन कर विदेशों में निर्यात कर रही एजेंसी ग्रीनव्हेली फार्म को छिंदवाड़ा जिले के जैविक उत्पाद का विपणन करने के लिए आमंत्रित किया। कंपनी के प्रतिनिधियों ने एक सप्ताह में जिले के एक दर्जन से अधिक गांवों में भ्रमण कर जैविक सब्जी और अनाज का सर्वे किया। पहले चरण में कंपनी मिर्ची, टमाटर और लौकी की अनुबंधित खेती का निर्णय लिया है। यह कंपनी किसानों को नर्सरी लगाने से लेकर फसल बिक्री तक हर कदम पर मार्गदर्शन देगी।
पहले चरण से ही होगी सब्जी की जांच
कंपनी के प्रतिनिधियों ने झामटा के किसानों के जैविक उत्पाद को विदेशों तक पहुंचाने के नियमों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यूरोप जैसे देशों में भारत के जैविक उत्पाद की जबरदस्त मांग है लेकिन इसके लिए हमें पूरी ईमानदारी से जैविक खेती करना होगा। निर्यात से पहले सब्जी व अनाज की उच्च स्तरीय प्रयोगशाला में जांच होती है। निर्धारित मात्रा से अधिक रसायनिक तत्व मिलने पर सब्जी या अनाज कार्गो हब से ही निरस्त कर दिया जाता है। इसके लिए जरूरी है कि बीज या पौधरोपण के पहले ही मिट्टी की जांच करानी होगी। इसके बाद लगातार खेतों के परीक्षण की प्रक्रिया होगी। किसी भी स्तर पर रसायनिक उर्वरक, कीटनाशक या नींदानाशक का उपयोग होने पर सब्जी या अनाज निर्यात लायक नहीं रहेगा।
जिले में बाजार की समस्या
किसान लक्ष्मी घागरे ने बताया कि सरकार जैविक खेती को बढ़ावा देने कई योजनाएं चला रही हैं। बिछुआ विकासखंड में जैविक खेती का रकबा बढ़ रहा है। जैविक उत्पादन बेचने के लिए कलेक्ट्रेट परिसर में एक दुकान आवंटित की गई है। निरंजन पवार ने कहा कि छोटे किसान जो हर सप्ताह थोड़ी थोड़ी सब्जी या अनाज बेचकर अपना गुजारा करते हैं ऐसे किसानों के लिए न तो हाट बाजार है न कोई बिक्री केंद्र। ऐसे में किसानों को अनाज और सब्जी मंडी में भेजना पड़ता है। यहां उन्हें अजैविक अनाज और सब्जी के बराबर ही दाम मिलते हैं। लागत और उत्पादन के हिसाब से जैविक सब्जी या अनाज के दाम अजैविक से 25 से 30 फीसदी ज्यादा होना चाहिए। क्योंकि जैविक खेती में उत्पादन कम होता है।
इनका कहना है
छिंदवाड़ा जिले के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में किसान सालों से परंपरागत खेती करते आ रहे हैं। यह जैविक खेती का ही स्वरूप है। यदि किसान पूरी तरह रसायनिक तत्वों का उपयोग बंद कर दें तो वे विशुद्ध जैविक सब्जी या अनाज का उत्पादन कर सकते हैं। वैश्विक बाजार में जैविक उत्पाद की जबरदस्त मांग है। सरकार व अन्य एजेंसियों की मदद से किसानों को उनकी उपज का सही दाम आसानी से दिलाया जा सकता है। स्वामीशरण कुशवाह, परियोजना अधिकारी, सिंफेड
Created On :   29 July 2019 9:56 PM IST