दो सगे भाइयों ने अंगीकार की जैन भगवती दीक्षा

Two real brothers accepted Jain Bhagwati initiation
दो सगे भाइयों ने अंगीकार की जैन भगवती दीक्षा
महोत्सव दो सगे भाइयों ने अंगीकार की जैन भगवती दीक्षा

डिजिटल डेस्क, वाशिम, नंदकिशोर। विश्वभर में जैन समाज की काशी के रुप में प्रसिध्द जिले की मालेगांव तहसील के शिरपुर जैन स्थित अंतरिक्ष पार्श्वनाथ भगवान तीर्थक्षेत्र में एक अनुपम तथा भव्य-दिव्य समारोह ने साकार रुप लिया, जिसमें आचार्य भगवंत की अमृतमय वाणी द्वारा नवकार महामंत्र के मंत्रोच्चार में तथा साधू-साध्वी व श्रावक-श्रविका इस चतुरविधि संघ के साक्ष्य से साबरमती के जन्मदाताओं ने शिरपुर जैन की पवित्र मिट्टी में जिनशासन सेवा हेतु जैन भगवती दीक्षा देकर अपने दोनों सुपूत्रों का दान दिया। सैंकड़ों श्रध्दालुओं की उपस्थिति तथा आनंद व उत्साह के माहौल में यह दीक्षा महोत्सव सोत्साह सम्पन्न हुआ। दीक्षा स्वीकारते ही दोनों सगे भाइयों का नामकरण मुमुक्षु दिक्षितकुमार से प.पू. हितचिंतन विजयजी म.सा. तथा मुमुक्षु तीर्थेश कुमार का नामकरण प. पू. तत्वचिंतन विजयजी म. सा. हो गया।

मूल रुप से राजस्थान के महोबत नगर निवासी तथा वर्तमान में गुजरात के साबरमती अहमदाबाद निवासी सुरेशकुमार अंबालाल कास्वा चौहान तथा पारुलबेन सुरेशकुमार कास्वा चौहान इस जैन परिवार के पुत्रों मुमुक्षु दीक्षितकुमार व मुमुक्षु तीर्थेशकुमार को बचपन से ही जन्मदाता माता-पिता और परिवार से सुख, सुविधा, प्रेम, स्नेह मिला। इन सभी संसाररुपी भौतिक सुख सुविधाओं का संपूर्ण त्याग करते हुए 13 और 15 वर्ष की छोटी उम्र में ही जन्मदाताओं की अनुमति से जैन भगवती दीक्षा अंगीकार कर जिनशासन सेवा में भावी जीवन बाल ब्रह्मचारी बनकर गुज़ारने का साहसी निर्णय मुमुक्षु दीक्षित कुमार व मुमुक्षु तीर्थेश कुमार ने लिया। संसाररुपी मोहमाया को त्याग कर दीक्षा अंगीकार करने की आतुरता से राह देखनेवाले इन दोनों भाइयों को अंतत: दीक्षा प्रदान की गई। गुरुवार 21 अप्रैल को दीक्षा विधि सम्पन्न होने के बाद नवनिर्वाचित दिक्षार्थी बंधुआंे का नामकरण किया गया, जिसमंे मुमुक्षु दीक्षित कुमार का नाम मुनिश्री हितचिंतन विजयजी महाराज साहब तथा मुमुक्षु तीर्थेश कुमार का नाम मुनिश्री तत्वचिंतन विजयजी महाराज साहब रखा गया। भविष्य में अब यह दोनों भाई इसी नए नाम से पहचाने जाएंगे। दीक्षा विधि के समय दीर्घदर्शी, गंभीरमूर्ति प. पू. आचार्य भगवंत श्री हंसकीर्ति सुरीश्वरजी महाराज साहब, करुणामंदिर जीवनशिल्पी प. पू. आचार्य भगवंत भव्यकीर्ति सुरीश्वरजी महाराज साहब, प. पू. पंन्यास प्रवर परमहंस विजयजी महाराज साहब, प. पू. देवर्षिजी महाराज साहब साधु गण तथा महासती राजरत्नाश्री जी व महासती सौम्यप्रज्ञाश्री जी समेत सती वृंन्द प्रमुख रुप से उपस्थित रहे।

और लेना पड़ा कठोर निर्णय : माता-पिता
अपने सुपुत्राें को जिन शासन की साधना में रममाण होकर परमात्मा होने के लिए हमने उन्हें दीक्षा देने का कठोर निर्णय लिया। संसार के कीचड़ से उन्हें अब साक्षात परमेश्वर बनने का सच्चा मार्ग मिला है। दोनों बच्चे हम माता-पिता को छोड़कर गुरुजनाें के मार्गदर्शन तथा आशीर्वाद से भगवान महावीर द्वारा दिखाए गए मार्ग पर सख्ती से चलकर मार्गक्रमण करेंगे। लाड़-प्यार से पले-बढ़े यह बच्चे परिवार को छोड़कर जा रहे हैं, इसका हमें बहुत दुःख हो रहा है, लेकिन दूसरी तरफ एक अच्छा उद्देश्य और ध्येय जीवन में वे अपनाने जा रहे हैं, इसकी खुशी भी हो रही है। ऐसे विचार नवदीक्षित बच्चों के वीर पिता सुरेशकुमार तथा वीर माता पेरुलबेन ने व्यक्त किए। इस अवसर पर दोनों ही काफी भावुक नज़र आए, इस दौरान उनकी आंखों से खुशी के आंसू भी बह रहे थे।

Created On :   22 April 2022 6:02 PM IST

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