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राष्ट्रभाषा और मातृभाषा का सम्मान करें-आचार्य विद्यासागरजी महाराज
डिजिटल डेस्क, वाशिम. अन्न, वस्त्र, निवारा मनुष्य की मुलभूत ज़रुरतें है, जिनकी पूर्तता करने के लिए वह हमेशा ही प्रयासरत रहता है । हम शरीर पर जो वस्त्र परिधान करते है उनमें भी मांसाहार का प्रयोग होने की बात ध्यान में आई है । इसी कारण हातमाग के माध्यम से अहिंसा परमो धर्म का जागर करते हुए हाथ से बने हुए कपडे का प्रयोग किया जा रहा है । शिरपुर नगरी में रक्षाबंधन पर्व पर 11 अगस्त को हातमाग वस्तु निर्माण केंद्र का उदघाटन किए जाने की जानकारी आचार्य विद्यासागरजी महाराज व ऐलक सिध्दांतसागरजी महाराज ने दी। वे शिरपुर के निकलंक भवन में पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे ।इस अवसर पर संत शिरोमनी आचार्य विद्यासागरजी महाराज ने बताया की कोई भी धार्मिक ग्रंथ अंग्रेज़ी भाषा में नहीं है । प्रत्येक धर्म ने मातृभाषा का प्रयोग किया है । बायबल ग्रंथ भी अंग्रेज़ी में न होकर उनकी मातृभाषा मंे है । लेकिन भारत में ब्रिटीशाें के राज्य करने के बाद जब हम स्वतंत्र हुए, उसके बाद भी अंग्रेज़ी भाषा का अधिक उपयोग करने को हम धन्यता दे रहे है । लेकिन प्रत्येक भारतीय से राष्ट्रभाषा हिंदी और मातृभाषा का अधिकाधिक उपयोग करते हुए प्रचार करने का आव्हान भी उन्होंने किया । भारत को भारत ही कहे, इंडिया न कहने का उपदेश उन्होंने दिया । विश्व में अंग्रेज़ी भाषा नहीं । प्रत्येक स्थान पर उस स्थान की मातृभाषा में कामकाज हो रहा है । अंग्रेज़ी भाषा को हम अंतरराष्ट्रीय भाषा सम्बोधित करते है वह भी गलत है । अंग्रेज़ी भाषा का प्रयोग केवल 6 देशाें में किया जाता है । इस कारण इस विषय पर संशोधन कर अंग्रेज़ी के मोह से मुक्ति मिले, इस हेतु अंग्रेज़ी माध्यम का भ्रम जाल पुस्तक की निर्मिति संक्रांत सानु ने की है । इस पुस्तक का पठन करने पर हमें सभी ज्ञान मिलता है । जिस-जिस ने राष्ट्रभाषा और मातृभाषा का सम्मान किया, प्रयोग किया वह व्यक्ति, वह युवा आज अंग्रेज़ी पर मात कर प्रगति पथ पर चार गुना आगे होने कि बात भी आचार्यश्री ने कही । स्वदेशी का उपयोग करने तथा हाथ से बनी वस्तुएं परिधान करने के कारण अनेकों को रोज़गार उपलब्ध होंगा । स्वदेशी वस्तु घर-घर में पहुंचने से विदेशी वस्तुओं से मुक्ति मिलंेगी । प्रत्येक को इस अभियान में शामिल होना ज़रुरी होने की बात भी उन्हांेने कही । मांसाहार से दूर रहे, शाकाहार ही सर्वोत्तम आहार है । इस कारण स्वास्थ्य अबाधित रहने की बात भी कही । इस अवसर पर ऐलक सिध्दांतसागरजी महाराज के कक्ष में मुंबई के डा. सुभाष शहा की ओर से सभी पत्रकारों को हातकरगा से बने टावेल भेंट स्वरुप दिए गए । साथही ऐलक सिध्दांतसागरजी महाराज के हाथों अंग्रेजी माध्यम का भ्रमजाल व संस्कृति शासनाचार्य श्री विद्यासागर पुस्तक आशिर्वाद स्वरुप दी गई । इस समय पत्रकार संघ के जिलाध्यक्ष माधवराव अंभोरे, महासचिव विश्वनाथ राऊत, मिडीया प्रभारी निलेश सोमाणी, प्रदीप टाकलकर, धनंजय कपाले, अनिल वाल्ले, संजीव भांदुर्गे, संजय खडसे आदि ने आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज के पादपक्षालन कर आशिर्वाद लिया।
Created On :   10 Aug 2022 6:35 PM IST