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हर्षोल्लास के साथ धरतीपुत्र का पर्व पोला
डिजिटल डेस्क, वाशिम। संपूर्ण महाराष्ट्र में धरतीपुत्र बैलों के सम्मान में मनाया जानेवाल पोला पर्व कोरोना काल के चलते लागू प्रतिबंधों के कारण सार्वजनिक रुप से नहीं मनाया जा सका था। लेकिन इस वर्ष शुक्रवार को वाशिम में पारम्परिक हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर बैलों को आकर्षक रुप से सजाकर बैंड-बाजे के साथ शोभायात्रा निकाली गई। शनिवार को नन्हे-मुन्ने बच्चों द्वारा तान्हा-तान्हा पोला मनाया जाएंगा।पोला अमावस्या की पूर्व संध्या पर गुरुवार रात से ही किसानों ने अपने-अपने बैलों का स्नान करते हुए उनका आकर्षक श्रृंगार किया। साथही सम्मानपूर्वक आमंत्रण देकर पूजा-अर्चना की।
शुक्रवार को बड़ी सुबह से ही पुन: बैलों को स्नान कराकर अपनी हैसियत के अनुसार किसानों ने इन श्रमवीरों को सजाया और शाम को स्थानीय माहुरवेश, बालाजी मंदिर समेत अनेक स्थानों से परम्परागत रुप से पोला फूटने के पश्चात शहर में बैलों की भव्य शोभायात्रा भी निकाली गई। इस अवसर पर बैलों की देखभाल करनेवाले भी नए कपड़े पहने नज़र आए, वहीं महिलाओं ने भी अपने घरों के सामने बैलों की पूजा-अर्चना कर पूरणपोली का भोग लगाकर धरतीपुत्र का आशीर्वाद लिया। स्थानीय माहुरवेस, बालाजी मंदिर समेत अन्य स्थानों पर पोला महोत्सव देखने के लिए नागरिक भारी तादाद में उपस्थित रहे।
अकोला के स्थानीय डा. पंजाबराव देशमुख कृषि विश्वविद्यालय में प्रति वर्ष की तरह इस वर्ष भी पोला उत्सव मनाया गया। समारोह में मध्यवर्ती संशोधन केंद्र के प्रक्षेत्र के संशोधन संचालक डा. विलास खर्चे की प्रमुख उपस्थिति थी। विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता कृषि अभियांत्रिकी डा. सुधीर वडतकर, कुलसचिव डा. सुरेंद्र कालबांडे, पशुसंवर्धन व दुग्धशास्त्र विभाग प्रमुख डा. शेषराव चव्हाण, डा. हरमनसिंह सेठी, डा. गोविंद जाधव, डा. एस. एस. तायडे, राजीव कटारे, डा. सतीश ठाकरे, डा. जयंत देशमुख, डा. नितिन कोष्टी, डा. नीरज सातपुते, डा. किशोर बिडवे आदि भी उपस्थित रहे। सर्वप्रथम मान्यवरों के हाथों बैलों की पूजा की गई। ठोंबरा नेवैद्य अर्पण किया गया। पोला उत्सव के अवसर पर अधिकारी, कर्मचारी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
Created On :   28 Aug 2022 4:04 PM IST