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हिंदू महासभा की कांग्रेस को धमकी- गोडसे की मूर्ति हटी तो महात्मा गांधी की मूर्तियां तोड़ देंगे
डिजिटल डेस्क, ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में महात्मा गांधी की हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे की प्रतिमा लगाने के बाद से विवाद बढ़ता ही जा रहा है। शनिवार को हिंदू महासभा ने कांग्रेस को धमकी दी है कि अगर कांग्रेस ने गोडसे की मूर्ति हटाई तो महात्मा गांधी की मूर्तियां तोड़ दी जाएंगी। गौरतलब है कि 15 नवंबर को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हिंदू महासभा ने बिना अनुमति के गोडसे के मंदिर की आधारशिला रखी थी। जिसके बाद से शासन-प्रशासन में हड़कंप मच गया। बता दें कि महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को 15 नवंबर 1949 को फांसी दी गई थी।
नाथूराम गोडसे की प्रतिमा लगाने के बाद से ही कांग्रेस लगातार इसका विरोध कर रही है और इन लोगों के खिलाफ राष्ट्रदोह का मुकदमा दर्ज करने की मांग कर रही है। इसके साथ ही सरकार और प्रशासन को कांग्रेस ने धमकी भी दी थी कि दो दिन के अंदर गोडसे की मूर्ति नहीं हटाई गई तो उग्र आंदोलन करेंगे और मूर्ति को तोड़ देंगे।
गौरतलब है कि बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने कहा था कि उनको पता चला है कि ग्वालियर में महात्मा गांधी की हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे का मंदिर बनाया जा रहा है और वहां के कांग्रेस के कद्दावर नेता (सिंधिया) पर भी प्रश्न उठाया था कि उन्हें महाराजा कहलाने में तो खुशी होती है, लेकिन उनमें क्या इतनी भी क्षमता नहीं है कि वे गोडसे के मंदिर के निर्माण को रोक सकें।
दरअसल हिंदू महासभा ने पिछले दिनों नाथूराम गोडसे का मंदिर बनाने का ऐलान किया था। पहले महासभा ने मंदिर निर्माण के लिए जिला प्रशासन से जमीन आवंटन के लिए अपील भी की थी, लेकिन उसे नामंजूर कर दिया गया था। जिला प्रशासन के मांग को नहीं मानने के बाद ग्वालियर स्थित अपने कार्यालय में नाथूराम गोडसे की मूर्ति स्थापना की गई। इसके साथ ही महासभा ने मंदिर बनाने का संकल्प भी लिया है। हिंदू महासभा का कहना है कि गोडसे ने गांधी की हत्या नहीं अखंड भारत के लिए वध किया था। अब महासभा ने एक कमेटी का गठन किया है जो प्रशासन से मंदिर के लिए फिर से जमीन की मांग करेगी।
कौन था गोडसे ?
बता दें नाथूराम गोडसे एक राष्ट्रवादी पत्रकार था। उसका जन्म महाराष्ट्र में पुणे के निकट बारामती में चित्तपावन मराठी परिवार में हुआ था। शुरुआत में नाथूराम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) में शामिल हो गया था। इसके बाद अखिल भारतीय हिन्दू महासभा में शामिल हो गया था। बताया जाता है कि गोडसे मुहम्मद अली जिन्ना की अलगाववादी विचारधारा का विरोध करता था। पहले गोडसे ने महात्मा गांधी के कार्यक्रमों का समर्थन किया। बाद में हिंदुओं के खिलाफ कथित भेदभावपूर्ण नीति अपनाए के कारण वह बापू के विरोध में आ गया। 1947 में भारत के विभाजन और साम्प्रदायिक हिंसा के लिए गोडसे गांधी जी को ही उत्तरदायी मानता था।
Created On :   18 Nov 2017 11:42 AM GMT