Jabalpur News: ये कैसा क्लियर वॉटर, छत तक ढह गई, अंदर तैर रही काई, यही पानी पी रहे 2 लाख लोग

ये कैसा क्लियर वॉटर, छत तक ढह गई, अंदर तैर रही काई, यही पानी पी रहे 2 लाख लोग
  • रियलिटी: जीर्ण-शीर्ण हो गया रांझी फिल्टर प्लांट का 57 साल पुराना वॉटर टैंक
  • सुध लेने वाला कोई नहीं, खतरनाक इतना फिर भी चुप्पी साधकर बैठे हैं नगर निगम के अफसर
  • चार साल से नहीं हुई सफाई, लोगों की सेहत से खिलवाड़

Jabalpur News: रांझी जलशोधन संयंत्र से ट्रीटमेंट होने के बाद 16 वार्डों के लगभग 2 लाख लोगों को पानी सप्लाई करने वाला क्लियर वाॅटर टैंक जीर्ण-शीर्ण हो गया है और लेंटर टूटकर गिर चुका है। टैंक में काई व जलकुंभी के साथ गंदगी जमी हुई है। चौंकाने वाली बात है कि चार साल से क्लियर वाॅटर टैंक की सफाई तक नहीं की गई। इतनी गंदगी देखने के बाद आँखों को भरोसा ही नहीं होता कि हम इस दूषित पानी को पी रहे हैं। यह पानी लोगों की सेहत के लिए खतरनाक होने के बाद भी नगर निगम के अफसर चुप्पी साधे हुए हैं।

चौंकाने वाली बात यह है कि पिछले चार साल से रांझी जलशोधन संयंत्र में ये हालात बने हुए हैं, लेकिन नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारी आँखें मूँदे रहे। अब जाकर क्लियर वाॅटर टैंक को ढकने के लिए टेंडर जारी किया गया है। टेंडर प्रक्रिया में ही 5 से 6 महीने लग जाएँगे। इससे लंबे समय तक रांझी और उसके आसपास के क्षेत्रों के 2 लाख लोगों को दूषित पानी पीने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

आज तक नहीं हो पाई वैकल्पिक व्यवस्था

क्लियर वॉटर टैंक जर्जर होने और उसकी सफाई नहीं होने से पानी की शुद्धता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। क्षेत्रीय नागरिकों का कहना है कि क्लियर वॉटर टैंक जर्जर होने के बाद भी नगर निगम के अधिकारी पिछले चार साल में वैकल्पिक व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं। क्लियर वाॅटर टैंक को तिरपाल या पन्नी से ढक कर सुरक्षित किया जा सकता था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

नगर निगम का दावा, पानी दूषित नहीं होता

रांझी जलशोधन संयंत्र के प्रभारी और उपयंत्री अंकुर नाग का कहना है कि क्लियर वाॅटर टैंक में गंदगी नीचे सेटल हो गई है। साफ होने के बाद यहाँ से पानी ऊपर से निकल जाता है। इससे पानी दूषित नहीं होता है। समय-समय पर पानी की टंकियों में जाने वाले पानी की टेस्टिंग की जाती है। क्लियर वाॅटर टैंक को ढकने के लिए टेंडर जारी कर दिया गया है।

एक्सपर्ट ने कहा- पानी में मिल रहे बैक्टीरिया

वॉटर पॉल्यूशन विशेषज्ञ विनोद दुबे का कहना है कि टैंक खुला होने से स्वाभाविक है कि पानी में छोटे जीव-जंतु भी गिर रहे होंगे। लंबे समय से एक जगह गंदगी जमा होने से उसमें बैक्टीरिया पनपने लगते हैं। टैंक के बैक्टीरिया पानी के साथ लोगों तक पहुँच रहे हैं। इनसे बीमारियाँ होने का खतरा है। क्लियर वाॅटर टैंक से सप्लाई होने वाले पानी की उच्च स्तरीय प्रयोगशाला से जाँच कराई जानी चाहिए।

ये शहर का पहला फिल्टर प्लांट, अपग्रेड करने की जरूरत

जबलपुर शहर में सबसे पहले वर्ष 1968 में रांझी में फिल्टर प्लांट का निर्माण किया गया था। प्लांट अब 57 साल पुराना हो चुका है। इसके बाद भोंगाद्वार में 1972, ललपुर में 1991 और रमनगरा में 2010 में फिल्टर प्लांट बनाया गया है। नगर निगम ने अमृत-2.0 प्रोजेक्ट के तहत यहाँ पर एक नया प्लांट और क्लियर वॉटर टैंक बनाने की योजना तैयार की है। जल्द ही काम शुरू होने की संभावना है।

इन क्षेत्रों में होती है पेयजल की सप्लाई

रांझी फिल्टर प्लांट से चंद्रशेखर आजाद वार्ड, डॉ. भीमराव अंबेडकर वार्ड, शहीद भगत सिंह वार्ड, महर्षि सुदर्शन वार्ड, लाला लाजपत राय वार्ड, गोकलपुर वार्ड, बिलपुरा वार्ड, लालमाटी वार्ड, द्वारका प्रसाद मिश्रा वार्ड, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी वार्ड, सिद्धबाबा वार्ड, शीतलामाई वार्ड, आचार्य विनोबा भावे वार्ड, डॉ. राधाकृष्णन वार्ड, खेरमाई वार्ड और हनुमानताल वार्ड में पानी की सप्लाई की जाती है।

रांझी फिल्टर प्लांट में अमृत-2.0 प्रोजेक्ट के तहत जल्द ही नया प्लांट और क्लियर वॉटर टैंक लगाया जाएगा। इसका काम शीघ्र शुरू होने की संभावना है।

- कमलेश श्रीवास्तव, जल प्रभारी, नगर निगम

Created On :   12 Feb 2025 7:26 PM IST

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