जाती न पूछो साधू की, पूछ लीजिये ज्ञान - मोल करो तलवार का, पड़ा रहने दो म्यान

जाती न पूछो साधू की, पूछ लीजिये ज्ञान - मोल करो तलवार का, पड़ा रहने दो म्यान
संत कबीरदास जयंती पर समरसता सेवा संगठन द्वारा विचार गोष्टि एवँ सम्मान समारोह का आयोजन

डिजिटल डेस्क जबलपुर। सब सबको जाने सब सबको माने के उद्देश्य को लेकर समरसता सेवा संगठन द्वारा संत कबीरदास जयंती पर विचार गोष्टि एवँ सम्मान समारोह का आयोजन आर्य समाज मंदिर रसल चौक में मुख्य अतिथि रवि गुप्ता, मुख्य वक्ता डॉ वाणी अहलूवालिया, विशिष्ठ अतिथि समाजसेवी श्रीकमलेश नाहटा, सेवा निवर्त सेल टैक्स कमिश्नर श्री एनपी झारिया, संगठन के अध्यक्ष संदीप जैन एवँ सामजिक जनो की उपस्थिति में आयोजित किया गया।





कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महाकौशल चेम्बर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष रवि गुप्ता ने कहा हम उस विशाल भारत मे ररहते हैं जहां हर पचास कोस पर अलग भाषा, अलग बोली, अलग पहनावा मौजूद है इसके बाद भी अनेकता में एकता के भाव से हम कार्य कर रहे है। और अनेकता में एकता ही समरसता के भाव है। आज के कार्यक्रम के केंद्र बिंदु संत कबीरदास जी ने समाज को इसी समरसता का संदेश दिया उन्होंने यह संदेश सिर्फ एक समाज या धर्म को नही दिया अपितु सर्व समाज को यह संदेश दिया और आज के इस कालखंड में उनके संदेश की महती आवश्यकता हमारे समाज को है।

उन्होंने कहा ईश्वर ने जिन चार वर्णों में मनुष्य को बनाया उनमें प्रमुख है श्वेत वर्ण, गौर वर्ण, पीत वर्ण, श्याम वर्ण है और इन चार वर्णों में ही पूरी दुनिया के मनुष्य को बांटा गया किन्तु कालांतर में हमने इसे जाति, पाति, धर्म समाज मे बांट दिया। किन्तु इस भाव से निकलने की आवश्यकता है और सभी को समरस होने की आवश्यकता है और सन्त कबीरदास जी की जन्मजयंती के अवसर पर हम यही कामना प्रभु से करते है।

कार्यक्रम की मुख्य वक्ता डॉ वाणी अहलूवालिया ने ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा आज इस कार्यक्रम में जो भी लोग एकत्रित है जो विभिन्न जाति वर्ग से आते है और अलग अलग जगहों से आते है यही इस कार्यक्रम की सफलता है। आज से 450 वर्ष पूर्व जब संत कबीरदास जी का जन्म हुआ तब देश और दुनिया मे त्राहि त्राहि मची हुई थी। उनका कहना था वाणी मीठी होए इसका मतलब यदि अच्छा बोलेंगे तो कठोर से कठोर व्यक्ति का मन जीत सकते है।




उन्होंने कहा हम हमेशा सामाजिक विभाजन के शिकार रहे है कितने कालखंड हो गए केवल बात होती रही पर लोगो को एक नही कर पाए। सन्त कबीरदास जी ने उस कालखंड में भी यही कार्य किया उन्होंने तो समाज के साथ अलग अलग धर्मो के लोगो को कहा कि आप आइये और सामजिक विभाजन को दूर कीजिये। उनका मानना था ईश्वर एक है सभी मनुष्यों में एक ही ऊर्जा है एक ही शक्ति है और उस शक्ति और ऊर्जा का उपयोग समाज को एक करने में कीजिये।

उन्होंने कहा हम वसुधैव कुटुम्बकम को मनाने वाले लोग है हमारे लिए तो पूरा विश्व एक है और जब विश्व एक है तो फिर जाति समाज कहाँ से आ गए और यदि जाति समाज है भी तो फिर संतो के संदेश तो सभी के लिए है किसी जाति विशेष के लिए नही। समरसता के लिए संत कबीरदास गुरुनानक देव, स्वामी विवेकानंद जैसे अनेको महापुरुषों ने कार्य किया।

संगठन के सदस्य विजय यादव ने गोष्टि को संबोधित करते हुए कहा सन्त कबीर दास जी 15 वीं सदी के महान संत थे 13 सौवीं सदी में उनका जन्म हुआ उन्होंने समाज को अंधविश्वास से दूर रहने का उपदेश दिया संत कबीर जी निर्गुण उपासक थे एक ही ईश्वर को मानते थे।

उन्होंने कहा सन्त कबीर जी का उद्देश्य सर्व समाज को एक करने का था। देश और धर्म को खतरा जयचंद और मीर जाफर से नही अपितु समाज संस्कृति की टूट से है। कार्यक्रम के अतिथि कमलेश नाहटा ने कहा समरसता सेवा संगठन का जन्म तीन माह पहले हुआ था और जब किसी बालक का जन्म होता है तब पहले वाल चलने की कोशिश करता है फिर चलता है किंतु थ संगठन तीन माह में ही न सिर्फ चलने लगा बल्कि दौडऩे लगा इसके लिए शुभकामनाएं है।

कार्यक्रम के अतिथि एनपी झारिया ने गोष्टि को संबोधित करते हुए कहा मध्य काल मे 15 से 16 वी शताब्दी में तुलसीदास जी, रविदास जी, कबीरदास जी ने जो संदेश उस समय दिया उसका महत्व उस समय नही समझा किन्तु आगे चलकर उनके संदेश को लोगो ने आत्मसात करने का प्रयास किया। यदि यह संत नही होते तो इतनी विविधताओं के बाबजूद हम संगठित नही होते।

संगठन के अध्यक्ष संदीप जैन ने कार्यक्रम की प्रस्तावना देते हुए कहा समरस्ता आज की बात नही इसका लंबा इतिहास है । भारत की प्राचीन संस्कृति में समरसता है और भारत अखिल विश्व का नेतृत्व कर्ता रहा है और भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए महापुरुषों, संतो और हमारे आराध्यों ने समाज को संदेश दिया किन्तु कालांतर में बाहरी आक्रान्ताओ ने देश मे फूट डाली और जिन महापुरुषों ने सम्पूर्ण समाज को संदेश दिया था उसे केवल जाति समाज मे सीमित कर दिया गया जिससे समरसता की भावना में कमी आई और समरसता को पुन: स्थापित करने के लिए हमने इस संगठन का गठन किया और तय किया कि वर्ष में सभी आराध्य महापुरुषों की जयंती पर विचार गोष्टि और सम्मान समारोह आयोजित कर समरस्ता की भावना को फिर से जागृत करेंगे।

समाज मे विशिष्ठ सेवा करने वाले समाजसेवियों का सम्मान :- कार्यक्रम के अगले चरण में समाजसेवी जनो का सम्मान किया गया जिनमे एनपी झारिया, गणेश प्रसाद झारिया, डॉ बीके सतनामी, अजय झारिया, सुभाष झारिया, सुखचैन झारिया, हरि मेहरा, नवनीत झारिया, अमृतलाल झारिया, अमित मेहरा, डॉ वृंदावन झारिया, रामप्रसाद हळदकार, जितेंद्र पटेल, गंगाराम पटेल, संदीप झारिया, राकेश कोरी, रामस्वरूप शाक्य, अनिल धनकर, नीलेश नायडू, का सम्मान किया गया।

इस अवसर पर शरद चंद पालन, अखिल मिश्र, संजय गोस्वामी, श्रीराम शुक्ला, अनूप शुक्ला, सुरेश पांडे, संजय नाहतकर, अजय झारिया, कमलेश शर्मा, प्रवीण सिंह, रूपा राव, कुसुम चौबे, पूनम प्रसाद, उज्ज्वल पचौरी, राजीव राठौर, विक्रम परवार, राजेश ठाकुर, महेंद्र रघुवंशी, पसौरभ श्रीवास्तव, टीटू यादव, रामेश्वर चौधरी, राज भटनागर, सिद्धार्थ शुक्ला, विवेक चौबे, विजय यादव, कुलदीप सेन, अभिषेक तिवारी, राहुल दुबे, रवि शर्मा, सुरेंद्र शर्मा, आशु रजक, संदीप यादव, आर्यन मिश्रा, अमित जैन वासु, मुरली बासल उपस्थित थे।

Created On :   3 Jun 2023 6:43 PM GMT

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