गैर परिचालन वाले कोयला खदानों को वापस करने के लिये पीएसयू को मिलेगा वन टाइम विंडो

PSUs will get one time window to return non-operational coal mines
गैर परिचालन वाले कोयला खदानों को वापस करने के लिये पीएसयू को मिलेगा वन टाइम विंडो
कोयला मंत्रालय गैर परिचालन वाले कोयला खदानों को वापस करने के लिये पीएसयू को मिलेगा वन टाइम विंडो
हाईलाइट
  • वर्ष 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने कोयला ब्लॉक आवंटन को रद्द कर दिया था

डिजिटल डेस्क, नयी दिल्ली। केंद्र सरकार ने बिना किसी जुर्माने के गैर-परिचालन वाले कोयला खदानों को वापस करने के लिये सरकारी कंपनियों को वन-टाइम विंडो प्रदान करने की मंजूरी दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने कोयला मंत्रालय के उस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिसमें केंद्र और राज्य के सार्वजनिक उपक्रमों को बिना किसी जुर्माने (बैंक गारंटी की जब्ती) और बिना कोई कारण बताये गैर-परिचालन वाले खदानों को सरकार को वापस करने के लिये वन-टाइम विंडो देने का प्रावधान है।

इस फैसले से कई कोयला खदानें सरकार को वापस मिल सकती हैं, जिन्हें वर्तमान में आवंटन प्राप्त सरकारी पीएसयू विकसित करने की स्थिति में नहीं हैं या वे उसके इच्छुक नहीं है। इन खदानों को मौजूदा नीलामी नीति के अनुसार नीलाम किया जा सकेगा। जिन सरकारी कंपनियों को ऐसे कोयला खदान आवंटित हैं, उन्हें खदान को वापस करने की नीति के प्रकाशन की तारीख के तीन माह के भीतर कोयला खदानों को वापस करना होगा।

वर्ष 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने कोयला ब्लॉक आवंटन को रद्द कर दिया था, जिसके बाद केंद्र सरकार ने ऐसे कई खदान ताप विद्युत संयंत्रों को कोयले की अबाध आपूर्ति के लिये राज्य और केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम आवंटित किये थे। सरकार ने सरकारी विद्युत उत्पादन संयंत्रों की कोयले की आवश्यकता पूरी करने के लिये आवंटन में तेजी की थी। इन सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा देय राजस्व प्रति टन के आधार पर तय किया गया था जबकि निजी क्षेत्र को इसके लिये बोली लगानी होती है।

उस समय के कोयला ब्लॉकों के आवंटन के संदर्भ में, कोयला ब्लॉकों के परिचालन की समय-सीमा की शर्तें बहुत सख्त थीं, जिसमें सफल आवंटी के लिये छूट की कोई गुंजाइश नहीं थी। कोयला खदानों के परिचालन में हुई देर के लिये जुर्माना लगाया गया था, जिसकी परिणति विवादों और अदालती मामलों के रूप में हुई। दिसंबर 2021 तक सरकारी कंपनियों को आवंटित 73 कोयला खदानों में से 45 खदानें गैर-परिचालित रहीं और 19 कोयला खदानों में खनन कार्य शुरू करने की निर्धारित तारीख पहले ही समाप्त हो चुकी है।

इन खदानों के परिचालन में हुई देर की वजहें आवंटी कंपनी के नियंत्रण से बाहर थीं। कानून-व्यवस्था के मुद्दे, पूर्व घोषित वन क्षेत्र की तुलना में वन क्षेत्र में बढ़ोतरी, भूमि अधिग्रहण के खिलाफ जमीन मालिकों का विरोध, कोयला संसाधनों की उपलब्धता के संदर्भ में अप्रत्याशित भूगर्भीय तथ्य आदि कारक परिचालन में देर की वजहें रहीं।

सरकार का कहना है कि अच्छी गुणवत्ता वाले कोयला ब्लॉक जिन्हें जल्दी आवंटित किया गया था, तकनीकी दिक्कतों को दूर करके और सीमा निर्धारित करके उन्हें फिर से परिचालन के लायक बनाया जा सकता है। इसके बाद इन्हें हाल ही में शुरू की गई वाणिज्यिक कोयला खदान नीलामी नीति के तहत इच्छुक पक्षों को दिया जा सकता है।

केंद्र सरकार का कहना है कि कोयला ब्लॉकों के शीघ्र परिचालन से रोजगार मिलेगा, निवेश को बढ़ावा मिलेगा, देश के पिछड़े क्षेत्रों के आर्थिक विकास में मदद मिलेगी, अदालती मामलों में कमी आयेगी और इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा मिलेगा, जिससे देश के कोयला आयात में कमी आयेगी।

आईएएनएस

Created On :   8 April 2022 7:00 PM IST

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