उत्तरप्रदेश निकाय चुनाव के दूसरे चरण का मतदान 11 मई को होगा, 13 मई को आएंगे नतीजे

उत्तरप्रदेश निकाय चुनाव 2023

Bhaskar Hindi
Update: 2023-05-10 12:28 GMT

डिजिटल डेस्क, लखनऊ।उत्तरप्रदेश निकाय चुनाव के दूसरे चरण का मतदान 11 मई को होगा। नतीजे 13 मई कोघोषित किए जाएगे। निकाय चुनाव के नतीजे 2024 में होने वाले आम चुनावों पर असर डालेगे। यूपी में हो रहे निकाय चुनावों को लोकसभा चुनाव के लिए सेमिफाइनल माना जा रहा है। कहा जाता है देश की सत्ता की कुर्सी का रास्ता यूपी से होकर जाता है, इसे ध्यान में रखते हुए हर राजनैतिक दल ने निकाय चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक दी। बीजेपी के साथ तमाम विपक्षी दल समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी ने चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए प्रचार में पूरी दम लगा दी।

आपको बता दें उत्तर प्रदेश में कुल 80 लोकसभा सीटें हैं, जिसमें से 50 सीटों पर शहरी इलाकों का अत्यधिक असर है। लोकसभा चुनाव का समीकरण बदल सकते है।  ऐसे में यहां निकाय चुनाव में जीत दर्ज करना सभी पार्टियों के लिए बेहद अहम है।

निकाय चुनाव में हर राजनैतिक दल ने अपने हिसाब से सामाजिक समीकरण बनाए। बीजेपी ने नए समीकरण हिंदू और पसमांदा मुसलमान का कार्ड खेला। बीजेपी ने सबसे बड़ा प्रयोग करते हुए निकाय चुनाव में कई मुसलमान उम्मीदवारों को मैदान में उतारा। निकाय चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने कुल 395 मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। जिसमें से 90 फीसदी से ज्यादा पसमांदा मुस्लिम हैं.

समाजवादी पार्टी ने निकाय चुनाव में मुस्लिम,यादव,दलितऔर ब्राह्मण वोटरों को साधने की कोशिश की। वहीं बीएसपी दलित और मुस्लिम समीकरण से निकाय चुनाव के मैदान में उतरी। बीएसपी चीफ मायावती ने दलित और मुस्लिम समीकरण बनाकर राजनीति में नया प्रयोग किया है। बीएसपी ने पिछले 2017 के निकाय चुनाव में दलित, मुस्लिम समीकरण के माध्यम से बेहतर प्रदर्शन किया था। दलित-मुस्लिम समीकरण की मदद से ही पिछले बार बहुजन समाजवादी पार्टी ने अलीगढ़ और मेरठ के नगर निगम में अपना मेयर बनाया। दलित मुस्लिम समीकरण के सहारे बीएसपी अलीगढ़ में तीन बार मेयर बना चुकी । बहुजन समाजवादी पार्टी से साल 1995 में अय्यूब अंसारी, साल 2000 में हाजी शाहिद अखलाक, साल 2017 में सुनीता वर्मा  मेयर चुनी गईं। इस बार बीएसपी चीफ मायावती ने राज्य के कुल 17 नगर निगमों में से 11  पर मुस्लिम उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारे हैं। इस बार सपा और बसपा ने विधानसभा चुनाव के बाद से ही तैयारी शुरू कर दी थी, जिसके चलते बीजेपी की चुनौती बढ़ गई है।

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