78 वां स्वतंत्रता दिवस: जब फ्रीडम फाइटर की विधवा रुक्मिणी देवी ने पेंशन के लिए आवेदन से मना कर दिया था

  • आंदोलनकारी जमुनाप्रसाद अवस्थी ने आजादी की लंबी लड़ाई लड़ी
  • अपने ओजस्वी भाषणों से आंदोलनकारियों में जोश भरा
  • स्वतंत्रता सेनानी परिवार का स्वाभिमान और दृढ़ निश्चय

Bhaskar Hindi
Update: 2024-08-15 09:37 GMT

डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। स्वतंत्रता के आंदोलन में बढ़चढक़र हिस्सा लेने और अंग्रेजी हुकूमत को अपने जज्बे से हथियार डालने पर मजबूर कर देने वाले जिले के आंदोलनकारियों की लंबी फेहरिश्त है। उनमें से एक जमुनाप्रसाद अवस्थी का नाम भी इतिहास के पन्नों में अमर है। अपने ओजस्वी भाषणों से आंदोलनकारियों में जोश भरने वाले जमुनाप्रसाद अवस्थी ने आजादी की लंबी लड़ाई लड़ी। बाद में वे फारवर्ड ब्लॉक में शामिल होकर सिंगापुर चले गए थे। देश की आजादी में बड़ी भूमिका निभाने वाले जमुनाप्रसाद ने 18  जुलाई 1956 को अंतिम सांसे लीं।

 

आजादी के इस दीवाने का पग-पग में साथ निभाने वाली उनकी धर्मपत्नी का स्वाभिमान भी उल्लेखनीय है। स्व. जमुनाप्रसाद अवस्थी की धर्मपत्नी रुक्मिणी देवी अवस्थी ने फ्रीडम फाइटर को दी जाने वाली पेंशन के लिए आवेदन करने यह कहकर इनकार कर दिया था कि हम पारितोषिक नहीं लेंगे। बात वर्ष 1975 की है। भोपाल में एक एसडीएम तत्कालीन राष्ट्रपति का पेंशन लेने के लिए पत्र लेकर उनके पास पहुंचे थे। तब रुकमणी देवी ने फ्रीडम फाइटर के तौर पर पेंशन लेने के लिए साफ मना कर दिया था। एसडीएम ने उन्हें कहा कि यह पारितोषिक नहीं यह तो सम्मान राशि है। इसके लिए आपको आवेदन करना है। तब रुक्मिणी देवी ने एसडीएम को यह कहकर लौटा दिया था कि सम्मान आवेदन देकर नहीं लिया जाता।

आपको सम्मान देना है तो बिना आवेदन के दें। एसडीएम उनकी बातों से प्रभावित हुए और बिना आवेदन के सम्मान राशि उपलब्ध कराने की बात कहकर जाने लगे, फिर पलटकर रुक्मिणी देवी ने कहा कि एसडीएम साहब आप मेरी ओर से कोई हस्ताक्षर कर या अंगूठा लगाकर आवेदन मत कर देना। बाद में रुक्मिणी देवी को बिना आवेदन २०० रुपए की पेंशन स्वीकृत की गई। उस समय फ्रीडम फाइटर को २०० रुपए पेंशन दी जाती थी, जबकि उनकी विधवाओं व आश्रितों को १०० रुपए की पेंशन राशि दी जाती थी, लेकिन तत्कालीन राष्ट्रपति फकरुद्दीन अली अहमद ने उन्हें २०० रुपए पेंशन की स्वीकृति दी थी। खासबात यह कि स्वीकृति का राष्ट्रपति की ओर से भेजे गए पत्र में आवेदन दिनांक को रिक्त रखा गया। जो कि स्वतंत्रता सेनानी परिवार के स्वाभिमान के साथ ही उस दौर के कर्मठ अधिकारी के दृढ़ निश्चय को प्रमाणित करता है। वह पत्र जमुनाप्रसाद व रुक्मिणी देवी के पोते शहर के कोऑपरेटिव बैंक कॉलोनी निवासी रिटायर बैंकर्स राजेश अवस्थी के पास आज भी मौजूद है।

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