chhindwara News: संतरा, मौसंबी के क्षेत्र में बढ़ रहे पिंक ताइवान अमरूद के बागान

भटेवाड़ी के युवा किसान ने किया नवाचार, एक साल में तेजी से बढऩे लगा रकबा

Bhaskar Hindi
Update: 2024-11-17 17:36 GMT

chhindwara News। संतरा और मौसंबी के लिए प्रसिद्ध पांढुर्ना जिले के पांढुर्ना-सौसर क्षेत्र में अब किसान सीताफल, अनार, पपीता, केला, सहित अन्य फलों की खेती में नवाचार कर रहे हैं। भटेवाड़ी के ३९ वर्षीय किसान चेतन बागवाले ने डेढ़ साल पहले पिंक ताइवान अमरूद के पौधों का रोपण किया। एक साल बाद फलों से लदे पौधों को देखकर क्षेत्र के प्रगतिशील किसानों ने भी अमरूद की खेती को अपना लिया। जानकारी के अनुसार एक दर्जन से अधिक किसानों ने अमरूद के बागान लगा लिए हैं।




 


तीगांव के करीब भटेवाड़ी में चेतन बागवाले ने संतरा फसल का विकल्प के लिए सीताफल और अमरूद की खेती का अध्ययन किया। बागानों का भ्रमण करने के बाद उन्होंने अपने पिता दिलीप बागवाले से मार्गदर्शन लिया। जनवरी २०२३ में पूना से पिंक ताइवान अमरूद के पौधे बुलाए और एक हेक्टेयर खेत में 1632 पौधों का रोपण किया। महज एक साल बाद ही पहली फसल से सवा लाख रुपए की आमदनी हुई, अब दूसरी फसल भी तुड़ाई के करीब है। उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों और अन्य स्त्रोतों से जानकारी लेकर पौधों की सिंचाई के लिए ड्रिप सिस्टम लगाया है। फलों को बीमारी से बचाने के लिए फोम नेट लगाई जाती है इससे पक्षी भी फलों को नुकसान नहीं पहुंचा पाते। पिंक ताइवान अमरूद का गूदा पिंक कलर का होता है, इसके बीज मुलायम होते हंै। इसका स्वाद क्रिस्पी और मीठा लगता है।

साल में दो बार मिलते हैं फल

वरिष्ठ उद्यान विस्तार अधिकारी सिद्धार्थ दुपारे ने बताया कि अमरूद की फसल साल में दो बार आती है। पौधों की आयु़ बढऩे के साथ फलों का उत्पादन और आमदनी भी बढ़ती जाती है। एक बार बगीचा लगाने के बाद प्रति एकड़ दो लाख रुपए सालाना आमदनी होने की संभावना है। फलों की बिक्री स्थानीय बाजार में आसानी से हो जाती है। वर्तमान में किसानों को 35 रूपए प्रतिकिलो दाम मिल रहे हैं।

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