Chhindwara News: जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की शौर्य गाथा का संग्रह, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 को करेंगे श्री बादलभोई जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालय का वर्चुअल लोकार्पण

Bhaskar Hindi
Update: 2024-11-13 19:15 GMT

Chhindwara News। श्री बादल भोई राज्य आदिवासी संग्रहालय अब जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की शौर्य गाथाओं की झलक भी दिखाएगा। संग्रहालय का निर्माण लगभग पूरा हो गया है। 15 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार से वर्चुअल कार्यक्रम के तहत संग्रहालय का लोकार्पण करेंगे। संग्रहालय में रानी दुर्गावती की गाथा, मालवा निमाड़ के जननायक टंट्या भील से लेकर छिंदवाड़ा जिले के आदिवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बादलभोई तक के ब्रिटिश हुकूमत से लोहा लेने और आजादी में योगदान का चित्रण किया गया है।

राज्य स्तरीय म्युजियम की खास बातें:

पुराना म्युजियम यथावत

करीब 8.4 एकड़ में फैला आदिवासी संग्रहालय में पूर्व से स्थापित बादलभोई राज्य आदिवासी संग्रहालय अपग्रेड होने के साथ यथावत है। पूर्व से स्थापित संग्रहालय में आदिवासी संस्कृति की झलक दिखाई देती है।

नया फ्रीडम फाइटर को समर्पित

इसी परिसर में बनाए गए श्री बादलभोई जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालय में प्रदेश के तमाम आदिवासी सेनानियों की वीर गाथा और स्वतंत्रता में उनके आंदोलनों की झांकी दशाई गई है।

गुन्नौरगढ़ किला

करीब 39 सौ वर्गमीटर में बनी नई बिल्डिंग में गोंडवाना साम्राज्य व आजादी में उनके योगदान की झांकियों के साथ ही रानी कमलापति का गुन्नौरगढ़ में स्थित किला भी बनाया गया है।

रानी दुर्गावती का दरबार

म्युजियम में रानी दुर्गावती के राज्य का दरबार भी सजाया गया है। पति राजा दलपत शाह की असमय मृत्यु हो जाने के कारण रानी ने अपने पुत्र नारायण को सिंहासन पर बैठाया था। जबकि राजकाज खुद रानी ने संभाला था।

क्रांति व सत्याग्रह की झलक

गोंड राजा शंकर शाह व उनके पुत्र रघुनाथ शाह का 1857 की क्रांति व बलिदान, गोंडवाना साम्राज्य के दौरान अंग्रेजों से युद्ध, टंटया भील का गुरिल्ला युद्ध, छिंदवाड़ा व बैतूल का जंगल सत्याग्रह, सिवनी का टुरिया सत्याग्रह की झांकी प्रतिमाओं के साथ दर्शाई गई है।

सैलानियों के लिए खास व्यवस्था

म्युजियम में आने वाले सैलानियों के लिए खास व्यवस्थाएं की गई हैं। भीतर ही खान पान के लिए रेस्टॉरेंट, आदिवासियों पर आधारित साहित्य, कपड़े सहित आदिवासियों में उपयोग की जाने वाली सामग्री की दुकानें भी सजाई जा रही हैं। इसके अलावा भवनों के बीच में आकर्षक गार्डन भी तैयार किया गया है।

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