करौली शंकर महादेव: करौली सरकार धाम में धूमधाम से मनाया गया पंडित राधा रमण मिश्र का जन्म दिवस, मौके पर करौली शंकर महादेव ने कही यह बड़ी बात
- पंडित राधा रमण मिश्र का जन्मोत्सव भव्य रूप से मनाया गया जहां हजारों की संख्या में श्रद्धालू मोजूद रहे।
- जन्मोत्सव के कार्यक्रम में कई विख्यात भजन गायकों ने अपनी हाज़री लगाई व भक्तों को बाबा की भक्ति के रंग में रंग दिया।
डिजिटल डेस्क, कानपुर। कानपुर स्थित करौली सरकार पूर्वज मुक्ति धाम में परम पूजनीय बाबा जी पंडित राधा रमण मिश्र का जन्मोत्सव भव्य रूप से मनाया गया जहां हजारों की संख्या में श्रद्धालू मोजूद रहे। यह परम पूजनिय बाबाजी की १५०वी वर्षगाँठ है। आपको बता दे कि करौली शंकर महादेव द्वारा संचालित इस धाम का उद्गम करौली सरकार से हुआ था। करौली सरकार का अर्थ है शिव और शक्ति का एक साथ होना। और समन्वयको की माने तो शिव और शक्ति एक साथ वहीं वास करते है जहां पर परम पूजनीय बाबा जैसे पूर्ण गुरु विराजमान होते है। बाबा राधा रमन मिश्र ने अपना पूरा जीवन जन कल्याण को समर्पित कर दिया था। वह तंत्र के एक महान साधक थे, जिन्हें महाअवतार बाबाजी का ही अंश माना जाता हैं जो आज विश्व कल्याण के लिए पूज्य गुरुदेव करौली शंकर के द्वारा स्वयं को प्रमाणित कर रहे है।
बाबा राधा रमन मिश्र ने तंत्र विद्या में असीम ऊंचाइयों को प्राप्त किया और ऐसा मुकाम हासिल किया जिसे आज तक कोई नहीं छू पाया है। आपको बता दे कि बाबा जी का जन्मोत्सव जो की हर वर्ष बसंत पंचमी के दिन मनाया जाता है, इस बार भी करौली सरकार धाम में बेहद उत्साह के साथ मनाया गया। जन्मोत्सव के कार्यक्रम में कई विख्यात भजन गायकों ने अपनी हाज़री लगाई व भक्तों को बाबा की भक्ति के रंग में रंग दिया।पूरा दरबार बाबा की कृपा से शिवमय हो गया व भक्तो ने हर्ष उल्लास के साथ अपनी भक्ति का परिचय दिया। मौके पर करौली शंकर महादेव ने भी भक्तों को संबोधित किया और कहा कि आज वह जीवन में जो भी हासिल कर पाए है, जो भी बन पाए है वह केवल पंडित राधा रमन मिश्र की ही बदौलत है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर बाबा न होते तो उनका अस्तित्व भी निराधार होता।
गुरुदेव ने भी कहा के दरबार में बाबा जी के आशीर्वाद से ही यहां आए हुए भक्तों की समस्या का निवारण संभव हो पाता है। कार्यक्रम के अंत में सभी ने एक स्वर में परम पूजनीय बाबा राधा रमन मिश्र का आह्वाहन किया और उनके आशीर्वाद की कामना की। इसी के साथ-साथ इस स्वर्ण अवसर पर करौली सरकार धाम का पहला अंतरराष्ट्रीय पूर्वज मुक्तिधाम नेपाल के काठमांडू में स्थापित करने का निर्णय भी लिया गया।