MP Politics: मप्र में 27 सीटों पर उपचुनाव, बदलाव की राह पर भाजपा-सिंधिया, क्या है कांग्रेस की रणनीति?

MP Politics: मप्र में 27 सीटों पर उपचुनाव, बदलाव की राह पर भाजपा-सिंधिया, क्या है कांग्रेस की रणनीति?

Bhaskar Hindi
Update: 2020-08-19 18:51 GMT
MP Politics: मप्र में 27 सीटों पर उपचुनाव, बदलाव की राह पर भाजपा-सिंधिया, क्या है कांग्रेस की रणनीति?

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य पद्रेश में 27 सीटों पर होने वालो उपचुनावों की तारीखों का ऐलान भले ही न हुआ हो लेकिन राजनीतिक दलों की तैयारियां जोरों पर हैं। भाजपा में जाने के बाद लंबे समय से खामोश बैठे राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की भी सक्रियता उपचुनावों से पहले काफी ज्यादा बढ़ गई है। वह पार्टी में अपनी पैठ बढ़ाने और तालमेल बैठाने के नए-नए तरीके अपना रहे हैं। सिंधिया के राजनीतिक जीवन में ये पहला मौका होगा जब वो घर-घर जाकर नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं।

सिंधिया जब कांग्रेस में थे तब तक कभी भी पार्टी नेताओं के घर-घर जाकर संपर्क नहीं करते थे। वहीं सिंधिया के आने से भारतीय जनता पार्टी में भी कुछ परिवर्तन नजर आ रहा है। करीब 15 साल से पार्टी का मुख्य चेहरा शिवराज सिंह रहे हैं, लेकिन उपचुनाव में शिवराज के साथ सिंधिया का भी चहरा रखा जा रहा है। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि उपचुनाव की तैयारी को लेकर भाजपा और सिंधिया कदम से कदम मिलाकर मैदान में जुटे हैं।

दूसरी ओर कांग्रेस की बात की जाए तो वो अब तक रणनीति ही तय नहीं कर पाई है। वर्चुअल रैली से लेकर मैदानी दौरों तक में भाजपा नेता और सिंधिया अपना पहला चरण शुरू कर चुके हैं। जबकि भाजपा से उलट कांग्रेस में वर्चुअल कनेक्टीविटी बेहद कम है। बदलावों से भी कांग्रेस दूरी बनाए हुए हैं। पूर्व सीएम कमलनाथ ही प्रदेश अध्यक्ष है। वे फिलहाल मैदान से भी दूर नजर आ रहे हैं। वहीं पूर्व मंत्री और पार्टी के पहली पंक्ति के नेताओं में उपचुनाव को लेकर सक्रियता का अभाव दिख रहा है।

मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की सत्ता में 15 साल बाद वापसी में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। लेकिन आलाकमान ने उन्हें जिस तरह से पार्टी में साइड लाइन किया, उसके कारण उन्हें पार्टी छोड़ने का फैसला लेना पड़ा। सिंधिया के दल बदलने का खामियाजा कांग्रेस को सत्ता से हाथ धोकर उठाना पड़ा। उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी इसी मुद्दे के सहारे दल बदलने वाले चहरों की घेराबंदी करने की रणीति बना रही है। हालांकि जनता के मन में क्या है, यह तो उपचुनाव के परिणाम ही बताएंगे।

Tags:    

Similar News