पवित्र पोर्टल के बगैर हुईं नियुक्तियां अवैध नहीं
नागपुर पवित्र पोर्टल के बगैर हुईं नियुक्तियां अवैध नहीं
डिजिटल डेस्क, नागपुर। राज्य शालेय शिक्षा विभाग के तहत आने वाली स्कूलों में शिक्षक भर्ती में भ्रष्टाचार कम करने के उद्देश्य से पवित्र पोर्टल प्रणाली लाई गई है। 23 जून 2017 को जीआर आया और जनवरी 2019 में यह पोर्टल शुरू हुआ। लेकिन तब कई शिक्षा संस्थानों में नियुक्ति प्रक्रिया जारी थी। कई नियुक्तियां पवित्र पोर्टल के बगैर हो गईं। शिक्षा विभाग ने इन नियुक्तियाें को मान्य नहीं किया। ऐसे में अकोला स्थित शिक्षण प्रसारक मंडल समेत अन्य शिक्षा संस्थाओं ने याचिका दायर की। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने माना है कि पवित्र पोर्टल के बगैर हुई नियुक्ति पूरी तरह अवैध नहीं मानी जा सकती। शिक्षा विभाग को प्रत्येक नियुक्ति पर सुनवाई लेने के बाद ही फैसला देना होगा।
यह है मामला : याचिकाकर्ता के अनुसार, उनके यहां खुले प्रवर्ग के शिक्षकों के पद रिक्त थे। अमरावती शिक्षा उपसंचालक से पदभर्ती की अनुमति मांगी। इधर, 18 नवंबर 2017 को पदभर्ती के लिए विज्ञापन जारी कर दिया। साथ ही अकोला आदिवासी विकास विभाग के रोजगार अधिकारी को इच्छुक उम्मीदवारों के नाम भेजने का अनुरोध किया। प्रक्रिया के तहत कुछ शिक्षकों की नियुक्ति भी हो गई, लेकिन शिक्षा उपसंचालक ने न्यायालय में विचाराधीन एक मामले के कारण इन नियुक्तियों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। उन्होंने हाई कोर्ट की शरण ली। शिक्षा उपसंचालक ने जवाब में शपथ-पत्र प्रस्तुत किया। दलील दी कि राज्य सरकार के 23 जून 2017 के जीआर के अनुसार, शिक्षक भर्ती के लिए पवित्र पोर्टल प्रणाली लागू की गई थी। नियमानुसार सभी नियुक्तियां पवित्र पोर्टल के जरिए ही करनी चाहिए थी। उक्त शिक्षा संस्थान ने ऐसा नहीं किया और न ही पदभर्ती करते वक्त आरक्षण प्रणाली का ध्यान रखा। सभी पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने यह फैसला दिया। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर.एल.खापरे और एड.राघव कविमंडन ने पक्ष रखा।