औद्योगिक विकास: अतरवाड़ा में 14 एकड़ पर बनेगा नया औद्योगिक क्षेत्र

  • जमीन चिन्हित, आवंटन के लिए कलेक्टर को पहुंचाई फाइल
  • शहर का पांचवा औद्योगिक क्षेत्र होगा अतरवाड़ा
  • उद्योग केंद्र द्वारा बनाए औद्योगिक क्षेत्र में जगह कम

Bhaskar Hindi
Update: 2024-02-13 04:31 GMT

डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। मध्यप्रदेश में छिंदवाड़ा जिले के अतरवाड़ा में 14 एकड़ के रकबे में नया औद्योगिक क्षेत्र विकसित किया जाएगा। जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र के अधिकारियों ने तमाम कागजी प्रक्रिया पूरी करते हुए जमीन आवंटन के लिए फाइल कलेक्टर के पास पहुंचा दी है। आवंटन की प्रक्रिया के बाद उद्योग केंद्र का चौथा और शहर का पांचवा औद्योगिक एरिया होगा। जिसमें नई औद्योगिक इकाईयां लग सकेंगी।

जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र द्वारा फिलहाल शहर में सुक्लूढाना, इमलीखेड़ा और खजरी में औद्योगिक क्षेत्र स्थापित किया गया है। सालों पुराने इन औद्योगिक एरिया के बाद केंद्र द्वारा कोई नया प्रोजेक्ट नहीं लाया गया। हाल ही में अधिकारियों ने 14 एकड़ के रकबे को चिन्हांकित किया है। जहां पर नई औद्योगिक इकाईयां स्थापित हो सकेंगी। सभी कागजी प्रक्रिया को पूरा करने के बाद जमीन आवंटन के लिए फाइल कलेक्टर को पहुंचा दी गई है। आवंटन की प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद यहां पानी, सडक़, बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं के विस्तार के लिए कार्य शुरु किया जाएगा। इस औद्योगिक केंद्र में लघु इकाईयां स्थापित हो सकेगी।

लहगड़ुआ के ये हाल, पांच साल में 89  में से 20 प्लाट अलॉट, 9 बुक, 60 खाली पड़े

जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र से इतर 2018 में लहगड़ुआ में एकेवीएन(औद्योगिक केंद्रीय विकास निगम) ३५ एकड़ के बड़े रकबे को औद्योगिक क्षेत्र के लिए विकसित किया था। उम्मीद थी कि इतनी बड़े औद्योगिक क्षेत्र में उद्योग स्थापित करने के लिए उद्यमियों की कतार लग जाएगी। शुरुआत में ऐसा हुआ भी दो दिन में सभी 89  प्लाट 24 घंटे में बुक्ड हो गए, लेकिन एक महीने के बाद ही हालात ये बने कि उद्यमियों ने बुकिंग कैंसिल कराते हुए प्लाट लेने से हाथ खड़े कर दिए। इसमें औद्योगिक क्षेत्र में व्याप्त खामियां एकेवीएन के नियम कारण थे। दरअसल, उद्यमियों ने ये सोचकर भी बुकिंग कराई थी कि प्लाट लेने के बाद इसे बाद में उद्योग केंद्र की तरह बेचा जा सकेगा, लेकिन एकेवीएन के नियम में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। जिसके कारण जिस रफ्तार से यहां प्लॉटों की बुकिंग हुई थी, उसकी दोगुनी रफ्तार से यहां केंसिलेशन भी हुए। पांच साल में यहां अब तक 89 में से 20 प्लाट अलॉट हुए, 9  बुक किए गए है। वहीं 60 प्लाट अभी भी खाली पड़े हैं।

ये भी कारण

- पहाड़ी क्षेत्र में इस औद्योगिक क्षेत्र को विकसित किया गया। 20 करोड़ रुपए डेवलपमेंट पर खर्च हुए, लेकिन प्लाट की जगह यहां पर बड़े-बड़े गड्ढे थे। जिन्हें भरने में ही उद्यमियों को लाखों रुपए खर्च करने पड़ते। इस वजह से भी बुकिंग कैंसिल की गई।

- शुरुआत में निगम से करार नहीं होने के कारण यहां पानी की बड़ी समस्या थी। उद्यमियों को उद्योग के लिए पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा था। हालांकि ये समस्या अब सुलझ चुकी है। निगम और एकेवीएन के बीच 3 लाख लीटर का करार हुआ है।

-दो साल पहले तक कनेक्टिविटी के मामले मेंं छिंदवाड़ा पूरी तरह से पिछड़ा था। नागपुर रेल मार्ग बंद और बोरगांव में नया औद्योगिक क्षेत्र विकसित हुआ। जिसके कारण महाराष्ट्र के उद्यमियों ने छिंदवाड़ा में इंवेस्ट करने की बजाय बोरगांव में इंवेस्ट करने पर ज्यादा रुचि दिखाई।

इनका कहना है

- लहगड़ुआ में अब औद्योगिक इकाईयां आ रही है। 20 प्लाट अलॉट हो चुके हैं। 9 की बुकिंग हो चुकी है। यहां अब उद्यमी रुचि दिखा रहे हैं।

उपेंद्र बिरनवार

उपयंत्री, एकेवीएन

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